Chardham Yatra 2021: ई-पास पास की अनिवार्यता से बढ़ा आक्रोश, केदारघाटी के व्यापारी 2 अक्टूबर से शुरू करेंगे अनिश्चितकालीन धरना
Kedarnath Dham: ई-पास की अनिवार्यता को खत्म करने और केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) को पूर्ण रूप से खोलने की मांग को लेकर व्यापारियों ने 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने का निर्णय लिया है.
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Uttarakhand Kedarnath Dham Yatra: चारधाम यात्रा में ई-पास की अनिवार्यता से जहां एक ओर श्रद्धालु खासे परेशान हैं, वहीं तीर्थ पुरोहित समाज के साथ ही व्यापारियों और मजदूरों में आक्रोश बना हुआ है. ऐसे में चारधाम यात्रा पर दर्शनों के लिए सीमित ई-पास व्यवस्था को समाप्त करने को लेकर केदारघाटी के व्यापारियों ने 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने और बाजार बंद रखने का निर्णय लिया है. उन्होंने सरकार से इस व्यवस्था में सुधार लाने की मांग की है. वहीं, कांग्रेस ने भी व्यापारियों के आंदोलन का समर्थन किया है. लोगों का कहना है कि 2 साल से कोरोना महामारी के कारण व्यापारियों का व्यवसाय चैपट हो गया है और अब ई-पास की अनिवार्यता के कारण श्रद्धालु खासे परेशान हैं. स्थानीय लोगों को भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है.
हजारों तीर्थ यात्रियों को लौटाया गया
बता दें कि, चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद से देश के विभिन्न कोनों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. जिन यात्रियों के ई-पास बन चुके हैं, उन्हें तो सरलता से बाबा केदार के दर्शन हो रहे हैं, लेकिन जिनके पास ई-पास नहीं हैं वो केदारघाटी पहुंचकर परेशान हो रहे हैं. उन्हें यह लग रहा है कि यहां पहुंचकर स्थानीय प्रशासन उनकी मदद करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. वो यहां आकर परेशान हो रहे हैं और सड़कों पर हल्ला मचा रहे हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं की परेशानियों को देखकर केदारघाटी के व्यापारियों, तीर्थ पुरोहितों एवं मजदूरों में आक्रोश बना हुआ है. अब तक बिना ई-पास के केदारघाटी पहुंचे हजारों तीर्थ यात्रियों को वापस लौटा दिया गया है.
ई-पास की व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए
केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, किशन बगवाड़ी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने गत 18 सितंबर से चारधाम यात्रा का संचालन शुरू तो किया, लेकिन सीमित ई-पास की व्यवस्था का खामियाजा केदारघाटी के व्यवसायियों को उठाना पड़ रहा है. ई-पास ना होने से भक्तों को बिना दर्शन किए हुए आधे रास्ते से लौटना पड़ रहा है, जिसका असर यात्रा से जुड़े व्यवसायियों के साथ ही तीर्थांटन और पर्यटन पर भी पड़ रहा है. यात्री दूर दराज प्रदेशों से यात्रा पर आ रहे है, मगर उन्हें बिना दर्शनों के वापस लौटना पड़ रहा है. ये भविष्य में यात्रा के लिए बुरा संदेश भी है. चारधाम यात्रा पर आ रहे श्रद्धालुओं के लिए ई-पास की व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए, जिससे श्रद्धालु आसानी से बाबा केदार के दर्शन कर सकें.
एकजुट हो चुकी है केदारघाटी
केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, किशन बगवाड़ी ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड के गठन से परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं. ये बोर्ड व्यापारियों के हित में नहीं है. ई-पास के कारण सीमित संख्या में ही केदारनाथ धाम में यात्री पहुंच रहे हैं. उन्होंने चारधाम दर्शनों के लिए ई-पास की प्रक्रिया समाप्त कर अंतिम पड़ावों में विगत वर्षों की भांति पंजीकरण की व्यवस्था किए जाने की मांग की. कहा कि ई-पास की अनिवार्यवता के विरोध में पूरी केदारघाटी एकजुट हो चुकी है. ऐसे में 2 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन के साथ ही बाजार बंद करने के लिए व्यवसायी मजबूर हैं.
सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा
ई-पास के विरोध में केदारघाटी के व्यापारी, मजदूर एवं तीर्थ पुरोहितों के समर्थन में कांग्रेस भी आगे आ गई है. कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री लक्ष्मी राणा ने कहा कि चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं को आसानी से जाने की अनुमति मिलनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. 2 साल से कोरोना महामारी के कारण लोग परेशान हैं और अब ई-पास की अनिवार्यता से लोगों को रोजगार से वंचित रहना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग के विधायक भी सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा रहे हैं. क्षेत्र में काम नहीं हो रहे हैं, जिस कारण जनता परेशान है. व्यापारियों, तीर्थ पुरोहितों एवं मजदूरों के समर्थन में कांग्रेस खड़ी रहेगी और जब तक ई-पास की अनिवार्यता को खत्म नहीं किया जाता, सरकार के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा.
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