Rudraprayag News: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल निर्माण का कार्य जोर-शोर से चल रहा है. पहाड़ों में भूस्खलन होने की संभावनाओं को देखते हुए अधिकांश जगह रेल टनल से होकर गुजरेगी. इसी कड़ी में मरोड़ा गांव के नीचे भी टनल का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन टनल निर्माण के चलते मरोड़ा गांव के घरों में मोटी-मोटी दरारे पड़ चुकी हैं. कईं घर तो दरार पड़ने के बाद जमीदोंज हो चुके हैं और कई होने की कगार पर हैं. 


जिन परिवारों को रेलवे की ओर से मुआवजा मिल गया है, वह तो दूसरी जगह चले गये हैं, लेकिन जिन परिवारों को मुआवजा नहीं मिल पाया है. वह मौत के साये में ही गांव में रह रहे हैं. स्थिति इतनी विकराल है कि गांव में कभी भी कहर बरपा सकता है. रेल लाइन का निर्माण कार्य कर रही कार्यदायी संस्था की ओर से पीड़ितों के रहने के लिए टिन शेड बनाये गए हैं, लेकिन पीड़ित इन टिन शेड़ों में नहीं रह रहे हैं. पीड़ितों का आरोप है कि टिन शेड़ों में किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है. 


'विकास की जगह हुआ विनाश'
शुरूआती चरण में प्रभावित परिवारों को रेलवे किराया देती थी, लेकिन अब किराया देना भी बंद कर दिया है और यहां से पलायन कर चुके लोग फिर गांव का रूख कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि विकास की जगह उनका विनाश हुआ है. उनका पुश्तैनी मकान उनकी आंखों के सामने जमीदोज हो रहा है. उनका विस्थापन किया जा रहा है और न मानकों के अनुसार उन्हें मुआवजा दिया जा रहा है.


गांव की महिलाएं बेहद लाचार हैं और रोते हुए सरकार और रेल लाइन का निर्माण कार्य कर रही कार्यदायी संस्था पर कई तरह के आरोप लगा रही हैं. कभी मरोड़ा गांव में 35 से चालीस परिवार हुआ करते थे, लेकिन अब मात्र 15 से 20 परिवार रह गये हैं और जो परिवार यहां रह भी रहे हैं, उनके साथ कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि मरोड़ा गांव के जो विस्थापित परिवार हैं, उनको शीघ्र ही मुआवजा दिया जाएगा. फिलहाल उनके लिये टिनशेड़ बनाये गये हैं और उनमें आवश्यक सुविधाएं जुटाई जा रही हैं.


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