Rudraprayag News: रुद्रप्रयाग में पंच केदारों में से द्वितीय केदार के रूप में विश्वविख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम में भारी संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं. हिमालय में स्थित मदमहेश्वर मंदिर सहित आस-पास की सुंदरता देखते ही बन रही है. मदमहेश्वर धाम में सुरम्य बुग्यालों में 11 हजार से अधिक फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव की नाभी की पूजा-अर्चना होती है. यहां पहुंचने के लिये लगभग 17 किमी की पैदल चढ़ाई चढ़नी पड़ती है.


मदमहेश्वर धाम को लेकर ये है मान्यता 
मदमहेश्वर धाम को पंच केदारों में द्वितीय केदार के रूप में पूजा-जाता है. मदमहेश्वर धाम हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों में बसा हुआ है. यह मंदिर भी आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित मंदिर है. इस मंदिर में भगवान शिव की नाभी की पूजा-अर्चना होती है. प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. मान्यता है कि जब पांडव केदारनाथ से बद्रिकाश्रम जा रहे थे तो उन्होंने यहां पर अपने पूर्वजों को तर्पण अर्पित किये थे. यहां पर भक्तों को भगवान शिव ने अपने मध्यभाग के दर्शन दिये थे. 


इन दिनों सावन माह में भारी संख्या में भक्त मदमहेश्वर भगवान के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. अभी तक 35 सौ से अधिक भक्त भगवान मदमहेश्वर के दर्शन कर चुके हैं. भगवान शिव का यह मंदिर भी बद्री-केदार मंदिर समिति के अधीन आता है. जब मंदिर के कपाट खुलते हैं मंदिर की पूजा-अर्चना के लिये मंदिर समिति की ओर से पुजारी नियुक्त किये जाते हैं. यहां के पुजारी भी छह माह तक यहीं रहते हैं.


कोरोना के बाद भक्तों की उमड़ी भीड़
मदमहेश्वर धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि कोरोना महामारी के दो साल बाद मदमहेश्वर धाम में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. दो साल तक यहां का स्थानीय व्यापार चैपट रहा. लोगों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इस बार यात्रा अच्छी चल रही है, जिससे व्यापारियों भी खुशी देखने को मिल रही है. कैसे पहुंचे मदमहेश्वर धाम बाबा केदार और मदमहेश्वर धाम के शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से रांसी तक सड़क मार्ग दूरी लगभग 30 किमी, रांसी से लगभग 17 किमी की पैदल चढ़ाई चढ़ने के बाद मदमहेश्वर धाम स्थित है.


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