Rudraprayag News: मवेशियों को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान जारी, जानिए- कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
Uttarakhand News: रुद्रप्रयाग में पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम चलाया गया और साथ ही पशुपालकों को जागरूक भी किया गया.
Rudraprayag News: रुद्रप्रयाग में पशुओं को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. साथ ही पशुपालकों को जागरूक भी किया जा रहा है, जिससे पशुओं में खुरपका-मुंहपका बीमारी होने पर पशुपालक अपने मवेशियों की जान को बचा सकें. रुद्रप्रयाग जिले के भटवाड़ी-सुनारी गांव में आयोजित टीकाकरण कार्यक्रम में ग्रामीणों और पशुपालकों को टीकाकरण की जानकारी दी गई.
टीकाकरण कार्यक्रम में दी गई ये जानकारी
टीकाकरण की जानकारी देते हुए मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ आशीष रावत ने कहा कि खुरपका- मुंहपका रोग से पशुओं की सुरक्षा के लिए यह टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. पशुओं का टीकाकरण के बाद भारत सरकार के इनाफ पोर्टल पर पशुओं का पंजीकरण किया जा रहा है. वर्तमान में जनपद के पांच गांवों का चयन किया गया है, जिसमें जखोली विकासखंड के कुमड़ी और फलाटी, ऊखीमठ विकासखंड के खड़िया, अगस्त्यमुनि विकासखंड के भणज-ग्वाड़ और कोली गांव के पशुओं की सैंपलिंग की जाएगी. जिसके बाद उनका टीकाकरण किया जाएगा.
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इसके 28 दिन बाद दोबारा पशुओं की सैंपलिंग की जाएगी, जिससे यह जानकारी प्राप्त होगी कि पशुओं में लगाए गए टीके से जानवरों में खुरपका एवं मुंहपका रोगों से बचाव के लिए पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में किस तरह की वृद्धि हुई है. डॉ. आशीष रावत ने बताया कि जनपद में लगभग एक लाख पांच हजार गोवंश और महिष वंशीय जानवरों का आकलन किया गया है, जिनका टीकाकरण होना है. इस मौके पर उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव गोयल और डॉ सत्येंद्र यादव ने उपस्थित ग्रामीणों और पशु पालकों को विभाग और अन्य विभागों द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई. इसके साथ ही पशुओं के लिए दवाई भी वितरित की गई.
क्या होता है खुरपका मुंहपका रोग?
खुरपका मुंहपका रोग गाय और भैंस में होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक रोग है. खासकर दुधारू गाय और भैंस में यह बीमारी अधिक नुकसानदायक होती है. यह रोग एक अत्यंत सूक्ष्म विषाणु से होता है. यह पशुओं में तेजी से फैलने वाला रोग है तथा कुछ समय में एक झुंड या पूरे गांव के अधिकतर पशुओं को संक्रमित कर देता है. खुरपका मुंहपका रोग के दौरान मुंह से अत्यधिक लार टपकता है.
जीभ तथा तलवे पर छालों के उभरने के बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं. मुंह में घावों कि वजह से पशु भोजन लेना तथा जुगाली करना बंद कर देता है एवं कमजोर हो जाता है. दूध उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की कमी, गाभिन पशुओं के गर्भपात एवं बच्चा मरा हुआ पैदा हो सकता है. बछड़ों में अत्याधिक बुखार आने के बाद बिना किसी लक्षण के मौत हो जाती है.
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