Rudraprayag: केदारनाथ धाम के लिए पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली रवाना, जानिए- कब खुलेंगे कपाट?
Kedarnath Dham: केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली केदारनाथ धाम के लिये रवाना हो गई है. ये डोली पांच मई को केदारनाथ पहुंचेगी. छह मई को बाबा केदार के कपाट खोल दिये जाएंगे.
Rudraprayag News: विश्व विख्यात केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से केदारनाथ धाम के लिये रवाना हो गई है. डोली रवाना होने के अवसर पर हजारों भक्त उमड़ पड़े. अब पांच मई को डोली केदारनाथ पहुंचेगी. जिसके बाद छह मई सुबह छह बजकर पच्चीस मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिये जाएंगे.
पांच मुख वाली होती है केदारनाथ की डोली
बाबा केदार ग्रीष्मकाल के छह माह केदारनाथ तो शीतकाल के छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में विराजमान रहते हैं. कहते हैं कि जो भक्त केदारनाथ नहीं जा सकता है वह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर आकर केदारनाथ जैसा पुण्य अर्जित कर सकता है. जिस प्रकार भक्तों की आस्था केदारनाथ से जुड़ी हुई है उसी प्रकार बाबा केदार की डोली से भी जुड़ी हुई है.
भगवान केदारनाथ की डोली पांच मुख वाली होती है. चांदी की इस डोली के भीतर बाबा केदार की चांदी की भोग मूर्ति विराजमान होती है. जिसकी पूजा छह माह तक केदारनाथ तो छह माह तक शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में होती है. केदारनाथ में यह भोगमूर्ति पुजारी निवास में रहती है.
Ghaziabad News: अब गाजियाबाद में भी बार में बाउंसर पर बैन, उल्लंघन करने पर रद्द होगा लाइसेंस
पैदल यात्रा को उत्सव यात्रा का दिया गया स्वरूप
कहते हैं कि साठ से सत्तर वर्ष पहले कपाट खुलने के अवसर पर शीतकालीन गद्दीस्थल से केदारनाथ धाम के लिये सिर्फ बाबा केदार की भोगमूर्ति, केदारनाथ रावल और केदारनाथ के प्रधान पुजारी जाते थे. धीरे-धीरे स्थिति बदली और पैदल यात्रा को उत्सव यात्रा का स्वरूप दिया गया.
उत्सव यात्रा में बाबा केदार की चांदी की पांच मुख वाली डोली को तैयार किया गया. कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की भोग मूर्ति को इसी पांचमुखी वाली डोली में शीतकालीन गद्दीस्थल लाया जाता है. फिर कपाट खोलने के समय बाबा केदार की भोगमूर्ति को इसी डोली में केदारनाथ ले जाया जाता है.
इस उत्सव में हजारों भक्त लेते हैं भाग
कहते हैं कि कपाट खुलने के बाद छह माह तक नर केदारनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं. जबकि कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव के गण और अन्य देवता बाबा केदार की पूजा करते हैं. कपाट बंद होने के बाद केदारनाथ में बाबा केदार को भोग नहीं लगाया जा सकता है. इसी कारण डोली यात्रा में भोग मूर्ति को शीतकालीन गद्दीस्थल लाया जाता है. बाबा केदार की डोली यात्रा को उत्सव यात्रा भी कहा जाता है. इस उत्सव यात्रा में हजारों भक्त भाग लेते हैं.
ये भी पढ़ें-
Eid 2022: मेरठ में प्रशासन के निर्देश पर मुस्लिम धर्म गुरुओं की अपील- सड़कों पर ना पढ़ें ईद की नमाज