तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्वार की धामी सरकार ने दी सैद्धांतिक सहमति, BKTC ने जताया आभार
Tungnath Temple: तुंगनाथ मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं. अब इस मंदिर के जीर्णोद्वार, सौंदर्यीकरण और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए सरकार ने मंजूरी दी है.
Rudraprayag News Today: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है. विश्वविख्यात तुंगनाथ मंदिर को तृतीय केदार के नाम से जाना जाता है. यह विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. अब इस मंदिर के जीर्णोद्वार, सौंदर्यीकरण और आवश्यक सुरक्षात्मक कार्यों के लिए उत्तराखंड सरकार ने सैद्धांतिक सहमति प्रदान की है.
प्रदेश सरकार का यह फैसला तब जब एबीपी लाइव ने इस पौराणिक मंदिर की मौजूदा स्थिति और इसके संरक्षण की जरूरतों को प्रमुखता से उठाया. बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अनुरोध किया था.
ASI-GSI ने दी तकनीकी रिपोर्ट
अजेंद्र अजय के मुताबिक, यह मंदिर अत्यधिक ऊंचाई (समुद्र तल से 11 हजार 942 फीट) पर स्थित होने के कारण सुरक्षा और संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. बीते साल बीकेटीसी अध्यक्ष ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) को पत्र लिखकर इस मंदिर के जीर्णोद्वार और सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए तकनीकी सलाह मांगी थी.
इसके बाद एएसआई और जीएसआई के विशेषज्ञों ने मंदिर का अध्ययन कर एक विशेष रिपोर्ट तैयार किया, जिसमें उन्होंने मंदिर के संरक्षण और इसकी संरचना को मजबूत बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया. इस रिपोर्ट के आधार पर बीकेटीसी ने केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की से भी तकनीकी परामर्श लिया था.
CBRI की रिपोर्ट का इंतजार
पिछले दिनों सीबीआरआई के वैज्ञानिकों ने तुंगनाथ मंदिर का दौरा किया और जल्द ही उनकी रिपोर्ट भी मिलने की उम्मीद है. इसके बाद बीकेटीसी अध्यक्ष ने सरकार को एएसआई और जीएसआई की रिपोर्टों का हवाला देते हुए तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के लिए सैद्धांतिक सहमति देने का अनुरोध किया था.
अब प्रदेश सरकार में धर्मस्व एवं संस्कृति सचिव हरिचंद्र सेमवाल ने बीकेटीसी को पत्र लिखकर इस कार्य के लिए अनुमति प्रदान की. सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मंदिर की पौराणिकता को ध्यान में रखते हुए सभी कार्य सीबीआरआई के जरिये किए जाएंगे. इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एएसआई और जीएसआई के विशेषज्ञों के साथ समन्वय स्थापित कर सभी कार्यों को अंजाम दिया जाए.
BKTC ने जताया सरकार का आभार
इस निर्णय का स्वागत करते हुए बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि तुंगनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर का जीर्णोद्वार उत्तराखंड के पर्यटन और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
गौरतलब हो कि एबीपी लाइव ने अपने एक विशेष रिपोर्ट में तुंगनाथ मंदिर की मौजूदा स्थिति को उजागर किया था. रिपोर्ट में बताया गया था कि मंदिर की संरचना समय के साथ कमजोर होती जा रही है और इसे संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है.
एबीपी लाइव की रिपोर्ट का दिखा असर
इसके अलावा मंदिर के सौंदर्यीकरण और आवश्यक सुरक्षात्मक कार्यों की भी सिफारिश की गई थी, जिससे इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके. एबीपी लाइव की रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और विशेषज्ञों की राय और सिफारिशों के आधार पर मंदिर के संरक्षण और जीर्णोद्वार के कार्यों के लिए सहमति दी.
इस कदम से मंदिर की संरचना को सुरक्षित किया जाएगा, साथ ही तुंगनाथ मंदिर की प्राचीन धरोहर को भी संजोया जाएगा. इस निर्णय से न केवल मंदिर की पौराणिकता को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी, बल्कि यह उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा. तुंगनाथ मंदिर की महत्ता और इसकी ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करना राज्य की सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है.
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