Uttarakhand News: पंच केदारों (Panch Kedar) में तृतीय केदार के नाम से प्रसिद्ध भगवान तुंगनाथ (Tungnath) के कपाट विधि-विधान से सोमवार को बंद कर दिए गए. इस दौरान महिलाओं ने वाद्य यंत्रों की मधुर धुनों के बीच मंगल गीत गाया. कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना हुई. यह सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंची और 8 नवंबर को अंतिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुंड पहुंचेगी. 9 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में विराजमान होगी.
500 श्रद्धालुओं ने आखिरी दिन किए दर्शन
भगवान तुंगनाथ के कपाट बंद होने के पावन अवसर पर करीब 500 तीर्थ यात्रियों ने उनके दर्शन किए. सोमवार को ब्रह्म बेला पर विद्वान आचार्यों द्वारा भगवान तुंगनाथ का महाभिषेक किया गया और आरती की गई. मठापति राम प्रसाद की मौजूदगी में विद्वान आचार्यों ने भगवान तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को ब्रह्म कमल, भस्म, चंदन, पुष्प अक्षत्र सहित विभिन्न पूजा सामग्रियों से समाधि दी और भगवान तुंगनाथ जगत कल्याण के लिए तपस्यारत हो गए.
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