Uttarakhand News: भले ही तृतीय केदार के रूप में विख्यात तुंगनाथ के कपाट बंद हो गए हैं, लेकिन कपाट बंद होने के बाद भी पर्यटक भारी संख्या में चोपता और तुंगनाथ पहुंच रहे हैं. तुंगनाथ के बाद पर्यटक चन्द्रशिला पहुंच रहे हैं, लेकिन चोपता से लेकर तुंगनाथ तक पर्यटकों की सुविधा के लिये शौचालय की व्यवस्था न होने से पर्यटकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर कपाट बंद होने के बाद चोपता से तुंगनाथ जाने वाले पर्यटकों से केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग कुछ धनराशि वसूलते हैं, लेकिन पर्यटकों को वन प्रभाग की ओर से किसी भी प्रकार की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. 


वहीं वन विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि पर्यटकों से ली जानी वाली राशि से बुग्यालों में साफ-सफाई की जाती है. इसके अलावा पर्यटकों को कोई अन्य सुविधा नहीं दी जाती है. ओली के बाद चोपता काफी प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है. चोपता की बात करें तो सालभर यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते रहते हैं. चोपता को मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. खासकर सर्दियों में बर्फबारी का आनंद लेने वाले पर्यटकों की अत्यधिक संख्या यहां बढ़ जाती है. स्थिति यह हो जाती है कि दिसंबर और जनवरी महीने के लिए चोपता के होटल-लॉज एडवांस में ही बुक हो जाते हैं. चोपता से लगभग साढ़े तीन किमी की चढ़ाई चढ़ने के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ धाम बसा हुआ है.


सर्दियों में तुंगनाथ में होती है भारी भीड़
गर्मियों में जब तुंगनाथ के कपाट खुलते हैं तो यहां पहुंचने वाले शिव भक्तों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन कपाट बंद होने के बाद तुंगनाथ में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या कम नहीं होती है. तुंगनाथ धाम धार्मिक क्षेत्र के अलावा बेहद ही खूबसूरत पर्यटक स्थल भी है. तुंगनाथ से लगभग एक किमी चढ़ाई चढ़ने के बाद चन्द्रशिला टॉप है. चन्द्रशिला से प्राकृतिक वादियों के अलावा हिमालय को नजदीक से निहारा जा सकता है. यही कारण है कि सालभर यहां पर्यटक आते रहते हैं. तुंगनाथ धाम के कपाट बंद हो गये हैं, लेकिन फिर भी यहां भारी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं और अब बर्फबारी होते ही चोपता-तुंगनाथ पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में और भी इजाफा हो जायेगा. 


पानी की भी सुविधा नहीं
वहीं यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को शौचालय से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चोपता से लेकर तुंगनाथ धाम तक कहीं भी स्थाई शौचालय का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है. इसके अलावा पानी की भी यहां दिक्कतें हैं. सेंचुरी एरिया होने के कारण यहां अभी तक न तो संचार सुविधा है और न लाइट की सुविधा है. पर्यटक और चोपता के स्थानीय व्यापारी सालों से चोपता में शौचालय सहित पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हो पाया है. वहीं दूसरी ओर चोपता-तुंगनाथ क्षेत्र केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के अंतर्गत आता है. हर साल शीतकाल में तुंगनाथ जाने वाले पर्यटकों से वन विभाग कुछ धनराशि लेता है, लेकिन सुविधाएं किसी भी प्रकार की नहीं दी जाती हैं.


वन विभाग लेता है इतना शुल्क
यहां शौचालय न होने के कारण पर्यटक खुले में शौच जाने को मजबूर होते हैं और इससे हिमालयी बुग्यालों व पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. चेपता -तुंगनाथ पहुंच रहे पर्यटकों का कहना है कि सर्विस चार्ज तो वसूला जा रहा है, लेकिन सुविधा किसी भी प्रकार की नहीं मिल रही है. कम से कम शौचालय की सुविधा तो मिलनी चाहिए. चोपता व्यापार संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी का कहना है कि कपाट बंद होते ही वन विभाग पर्यटकों से शुल्क वसूलना शुरू कर देता है, लेकिन पर्यटकों को सुविधा किसी भी प्रकार से नहीं दी जा रही है. चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर शौचालय, पेयजल सहित कोई भी रेन सेल्टर नहीं है. वन विभाग की ओर से चोपता में तैनात कर्मचारी का कहना है कि यदि 12 से 18 वर्ष के छात्र यहां घूमने आते हैं तो उनसे 38 रूपये, 18 वर्ष से अधिक आयु के छात्र के लिये 75 रूपये, वरिष्ठ नागरिग के लिये भी 75 रूपये है.


इसके अलावा युवाओं से डेढ़ सौ रूपये और कोई विदेशी आता है तो उससे छह सौ रूपये लिये जाते हैं. खुद वन विभाग का कर्मचारी कह रहा है कि सुविधा तो कुछ नहीं दी जाती है, लेकिन साफ सफाई के अलावा कोई पर्यटक फंस जाता है तो उसका रेस्क्यू किया जाता है.


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