Uttarakhand New: उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) जिले के घरड़ा-मखेत में आई आपदा को चार दिन का समय हो गया है लेकिन आपदा (Rudraprayag Disaster) प्रभावित ग्रामीणों को राहत नहीं मिल पाई है. आपदा के बाद अचानक से जखोली के घरड़ा मखेत का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है और ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर सड़कों पर रहने पर विवश हो गए हैं. ग्रामीणों का अरोप है कि प्रशासन (Rudraprayag Administration) की ओर से उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है, जिस कारण उन्हें सड़कों में रात काटनी पड़ रही है. जबकि मवेशियों को भी खुले आसमान के नीचे खेतों में बांधा जा रहा है.


खिसकने लगा पूरा पहाड़
बता दें कि बीते बुधवार को चिरबटिया में बादल फटने के बाद रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले (Tehri District) के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी तबाही मची थी, लेकिन इस आपदा ने जखोली के घरड़ा-मखेत गांव को ऐसे जख्म दिए कि जिनको भर पाना नामुमकिन है. घरड़ा-मखेत गांव के ठीक ऊपर एक किलोमीटर क्षेत्र में अचानक दरारें पड़ने से पूरा पहाड़ अपनी जगह छोड़कर खिसकने लगा है, जिस कारण पूरे गांव के अस्तित्व पर ही खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. अचानक से गांव पर आई इस विपदा से पूरा गांव डरा हुआ है.


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घरों को छोड़ रहे ग्रामीण
जिले के घरड़ा-मखेत गांव के ऊपर दरारे पड़ने के बाद अब गांव के मकान भी टूटने शुरू हो गए हैं, जिससे डरे सहमे ग्रामीणों ने अपने घरों को छोड़ना शुरू कर दिया है. जिन ग्रामीणों के पास ठिकाना है, वे परिवार दूसरे घरों में शिफ्ट हो गये हैं, लेकिन जिन परिवारों को कहीं ठिकाना नहीं मिल रहा है वे सड़क पर ही बच्चों और जरूरी सामान के साथ रहने को मजबूर हैं. इतना सबकुछ होने के बाद भी प्रशासन इस मामले में कुछ नहीं कर रहा है. ग्रामीणों को रहने के लिए प्लास्टिक तिरपाल तक नहीं दिये गये हैं.


मदद नहीं मिल रही-ग्रामीण
ग्रामीण सरोजा देवी, सुरजा देवी, नागदेवी, रामेश्वरी देवी, बिक्रम सिंह ने कहा कि, गांव के ऊपर दरार पड़ने से आवासीय भवनों को खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में ग्रामीणों ने अपने घरों को छोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि जो सक्षम लोग हैं, वे अपने रिश्तेदारों के यहां चले गये हैं, मगर गरीब ग्रामीणों के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है. ऐसे में उन्हें सड़कों में रात काटनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि मदद के नाम पर प्रशासन ने उन्हें एक टेंट तक नहीं दिया है.


सड़कों पर रहने को मजबूर
घरड़ा मखेत में जहां ग्रामीण अपने आवासीय भवनों को छोड़कर सड़कों में रहने के लिए मजबूर हैं, वहीं हिलाऊं नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद खतरे की जद में आए शिव मंदिर के सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों ने श्रमदान करना शुरू कर दिया है. नदी का जलस्तर बढ़ने से मंदिर के आगे के हिस्से को क्षति पहुंची थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने मंदिर की सुरक्षा को लेकर शासन-प्रशासन की मदद का इंतजार किये बगैर ही श्रमदान के जरिये मंदिर की सुरक्षा को लेकर कार्य करना शुरू कर दिया है. साथ ही मंदिर में आये मलबे को भी साफ किया जा रहा है. 


डीएम ने क्या कहा
वहीं मामले में डीएम मयूर दीक्षित का कहना है कि, घरड़ा-मखेत के ग्रामीणों की हरसंभव मदद की जा रही है. जिन ग्रामीणों ने अपने आवासीय भवनों को छोड़ दिया है उनके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों से लेकर अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं. फिलहाल प्रभावित ग्रामीणों को फौरी राहत दी गई है.


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