उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) जिले में गर्मी रिकार्ड़ तोड़ रही है. यहां इन दिनों 37 से 38 डिग्री के बीच तापमान है. तापमान में वृद्धि होने के कारण जनपद के अधिकांश हिस्सों में गंभीर पेयजल संकट (Drinking water crisis) छा गया है. साथ ही 25 जल स्रोत सूख चुके हैं. इसकी वजह से शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति इतनी विकराल रूप धारण कर चुकी है कि पेयजल किल्लत से परेशान ग्रामीण अब जल संस्थान विभाग के कार्यालय में धरना देने भी पहुंचने लगे हैं.
पानी के लिए दर-दर भटक रहे लोग
बता दें कि गर्मी बढ़ते ही रुद्रप्रयाग जिले में पानी की किल्लत शुरू होने लगती है. प्राकृतिक स्रोत सूखने लगते हैं और लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है. इस वर्ष बारिश भी कुछ खास नहीं हुई है, जिस कारण पानी की समस्या ज्यादा बन गई है. शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक पानी के लिए त्राहिमाम-त्राहिमाम मचा हुआ है. पानी को लेकर लोग दर-दर भटकने को मजबूर हैं.
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पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रहे
जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग वैसे तो अलकनंदा और मंदाकिनी नदी के एक छोर पर बसा है, लेकिन गर्मियों में यहां पेयजल की समस्या ज्यादा हो जाती है. दो बड़ी नदियां होने के बावजूद भी जिला मुख्यालय की जनता को पुनाड़ गदेरे से पेयजल की आपूर्ति की जाती है, जो अब धीरे-धीरे सूखता जा रहा है. इन दिनों गर्मी के कारण पानी की भारी किल्लत हो गई है. रुद्रप्रयाग शहर की बीस हजार से अधिक आबादी पिछले एक सप्ताह से पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के भी यही हाल हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी गंभीर पेयजल संकट गहरा गया है.
आंदोलन का रास्ता अपना रहे लोग
रुद्रप्रयाग शहर के लिए हर दिन 35 लाख लीटर पानी की जरूरत है, जबकि जल स्रोत सूख जाने से 10 से 12 लाख लीटर ही हर दिन पेयजल आपूर्ति हो पा रही है. ऐसे में पानी के लिए लोग परेशान हैं. इसके अलावा सबसे ज्यादा समस्या विकासखण्ड अगस्त्यमुनि और जखोली के विभिन्न गांवों में पेयजल को लेकर बनी है. पानी को लेकर ग्रामीण जनता को मीलों की दूरी नापनी पड़ रही है. पानी के लिये परेशान हो चुकी ग्रामीण जनता अब आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिये भी तैयार हो चुकी है और जल संस्थान कार्यालय में आकर विभागीय अभियंताओं से पेयजल की आपूर्ति कराने की मांग कर रही है.
टैंकरों के जरिये हो रही आपूर्ति
गर्मी के कारण विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के 15 गांवों में पेयजल स्रोत सूख चुके हैं, जबकि जखोली विकासखण्ड के आठ गांवों में स्रोत सूखने के कारण ग्रामीण जनता परेशान है. इसके अलावा ऊखीमठ विकासखण्ड के तीन गांवों में पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. जल संस्थान विभाग की ओर गुप्तकाशी, मैखण्डा, गोरणा, चोपता, कुंडा-दानकोट, क्वीलाखाल, सकल्याणा, सौंराखाल में टैंकरों के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है. जिन गांवों में मोटरमार्ग की सुविधा नहीं है, वहां घोड़े-खच्चरों से पानी पहुंचाया जा रहा है.
अधिशासी अभियंता ने क्या बताया
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता संजय सिंह ने कहा कि, रुद्रप्रयाग जनपद के भीतर 25 जल स्त्रोत ऐसे हैं, जहां पानी कम हो चुका है. जबकि आठ से दस गांव ऐसे हैं, जहां पानी पूरी तरह सूख चुका है. ऐसे में वहां टैंकर के जरिये पानी की आपूर्ति की जा रही है. रुद्रप्रयाग नगर में भी पानी की मात्रा बहुत कम हो गई है और यहां आधा से एक घंटे ही पानी की आपूर्ति की जा रही है. उन्होंने बताया कि रुद्रप्रयाग शहर की आबादी के हिसाब से हर दिन पैंतीस लाख लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन जल स्रोत में पानी कम होने से दस लाख लीटर ही हर दिन पेयजल आपूर्ति हो पा रही है. आगामी दिनों में बरसात नहीं होती है तो समस्या विकट हो जायेगी.
इन क्षेत्रों में सूखे प्राकृतिक जल स्रोत
रुद्रप्रयाग जिले के स्वीली, दरमोला, क्वीलाखाल, मयाली, ललूड़ी, जखोली, जवाड़ी, सुमाड़ी, नगरासू, मवाना, सौड़, कोठगी, रुद्रप्रयाग नगर, गोरणा, जाखणी, कुंडा, दानकोट, लोदला, खाल्यूं, अगस्त्यमुनि, रतूड़ा, तिलवाड़ा, गुप्तकाशी, धानी, मैखण्डा क्षेत्रों में प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं.