Ukraine Russia War: भारत सरकार की ओर से चलाए जा रहे 'ऑपरेशन गंगा' (Operation Ganga)के तहत हर दिन यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की वतन वापसी हो रही है. यूक्रेन में फंसे चार छात्रों के साथ एक अन्य व्यक्ति भी अपने घर पहुंच गया है. इनमें अगस्त्यमुनि (Augustmuni) निवासी अंकित चन्द्रा और अवंतिका भट्ट, ऊखीमठ निवासी लिपिक्षा कुंवर और उत्कर्ष शुक्ला, बच्छणस्यू पट्टी के धूम सिंह के घर पहुंचने से परिजनों में खुशी है. घर लौटने पर इन सभी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद किया है. साथ ही छात्रों ने भारत सरकार से कहा कि उनके साथ के अभी भी और भी छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं, जो बंकरों में रहकर रात काट रहे हैं. उन्हें भी किसी भी हाल में वापस लाया जाय. वहीं परिजनों ने पीएम मोदी से छात्रों के भविष्य को देखते हुए ठोस कार्यवाही की मांग की है.
रुद्रप्रयाग के 5 लोग लौटे
बता दें कि रूस के हमले के बीच यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) पिछले कई दिनों से नागरिक उड्डयन मंत्रालय (ministry of civil aviation)के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है. रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) जनपद के चार छात्रों के साथ ही एक और व्यक्ति भी यूक्रेन में फंसा था, जिन्हें वापस लाया जा चुका है. ये सभी अपने घरों में पहुंच चुके हैं. घर पहुंचने के बाद जहां परिजनों ने राहत की सांस ली है. छात्र अपने साथ घटित घटना को परिजनों को बता रहे हैं. परिजनों की आंखों से आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहा है.
छात्र ने सुनाई आपबीती
अगस्त्यमुनि निवासी अंकित चन्द्र ने बताया कि वे सात दिनों के ट्रैवल के बाद अपने घर पहुंचे हैं. वे यूक्रेन के कीव में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इस बीच अचानक से हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने सबकुछ बर्बाद करके रख दिया. बम के धमाकों से यूक्रेन गूंज रहा है. घटना के दौरान पहले हॉस्टल में फंसे रहे. उसके बाद बंकर में शिफ्ट किया गया. जहां खाने की बहुत ज्यादा समस्या हुई. उन्हें इतना भी समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें. एम्बेसी पर कॉल किया तो उनकी ओर से सुरक्षित स्थानों पर रहने की नसीहत दी गई.
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50 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा-छात्र
जब हालात बद से बदतर हो गये तो बार्डर पर आने को कहा गया. बार्डर तक जाने के लिए काफी लम्बा सफर तय किया. यहां तक कि 50 किमी पैदल दूरी भी नापनी पड़ी. जिस सफर के ढाई सौ डॉलर लगते हैं उसके हमें 1400 डॉलर देने पड़े. किसी तरह ट्रेन तक पहुंचने के बाद गिड़गिड़ाने पर टिकट कलेक्टर ने छोटी सी जगह पर बैठने दिया. इसके बाद बार्डर पर पहुंचे और वहां से यहां तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई.
छात्र की मां ने क्या कहा
अंकित चन्द्र की मां सुलाचेना देवी अपने बेटे के घर लौटने से काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि अपने बच्चे को घर में देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. मां की पीड़ा को कोई नहीं समझ सकता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही केदारनाथ विधायक मनोज रावत और पूर्व विधायक शैलारानी रावत का आभार व्यक्त किया. अंकित के पिता ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनका बेटा घर लौट आया है. साथ ही जिले के अन्य छात्र भी घर लौट आये हैं. जब से घटना के बारे में सुना उसके बाद से रात-दिन चिंता थी.
देश में मेडिकल की पढ़ाई सस्ती हो-छात्र की मां
अंकित की मां ने आगे कहा, अब जाकर राहत की सांस ली है. उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि देश में मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने के कारण बच्चों को बाहरी देशों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इस तरह की घटनाएं घटने के बाद अब डर सा लगने लगा है. उन्होंने कहा कि यहां भी मेडिकल की पढ़ाई को सस्ता किया जाय, जिससे बच्चों को बाहर नहीं भेजना पड़े. साथ ही उन्होंने कहा कि जो छात्र घर लौट आये हैं, उनकी पढ़ाई अब यहीं पर करवाई जाय.