Uttarakhand News: मौसम के साथ देने से अब केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में चल रहे द्वितीय चरण के पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी आ गई है. अब वायु सेना के दो चिनूक हेलीकॉप्टर (Chinook Helicopter) भारी सामान को गौचर हवाई पट्टी से केदारनाथ पहुंचा रहे हैं. अभी तक 350 टन सामग्री को धाम में पहुंचाया गया है और लगभग तीन सौ टन सामग्री पहुंचाई जानी बाकी है. धाम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के ड्रीम प्रोजेक्ट और केदारनाथ मास्टर प्लान के तहत पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं.
केदारनाथ धाम में भले ही दिसम्बर माह में बर्फबारी न हो रही हो, लेकिन सुबह और शाम के समय तापमान में भारी गिरावट आ रही है और तापमान माइनस 16 डिग्री से नीचे तक जा रहा है. बावजूद इसके भारी ठंड में लगभग चार सौ मजदूर केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों में जुटे हुये हैं. मौसम इसी प्रकार साथ देता है तो दिसम्बर के अंत तक कार्य जारी रहेगा. दिसम्बर माह के अंत तक धाम में रेन शेल्टर, दुकानों का निर्माण, यात्रा कंट्रोल सेंटर का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि धाम में दो वाटर एटीएम का निर्माण कार्य भी पूरा हो चुका है. धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को 2023 का यात्रा सीजन शुरू होने से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
पहुंचा एक और चिनूक हेलीकाप्टर
पिछले एक महीने से वायुसेना का एक चिनूक हेलीकॉप्टर निर्माण सामग्री केदारनाथ धाम पहुंचा रहा था, लेकिन अब एक और चिनूक हेलीकाप्टर पहुंच गया है, जो तीन-चार दिनों से नियमित रूप से पुनर्निर्माण सामग्री केदारनाथ धाम पहुंचा रहा है. अब तक 350 टन निर्माण सामग्री पहुंचाई जा चुकी है, जबकि लगभग 300 टन और निर्माण सामग्री पहुंचाई जानी बाकी है. केदारनाथ धाम में इन दिनों मौमस अभी तक साफ बना हुआ है. दिसंबर महीने के अंत तक पुनर्निर्माण कार्य जारी रखने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. चिनूक से पुल की गाडर, भारी सामग्री, स्टील के गाडर भिजवाए जा रहे हैं.
डीएम ने क्या बताया
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने बताया कि वायुसेना के दो चिनूक हेलीकाप्टर गौचर से केदारनाथ में भारी सामान पहुंचा रहे हैं. साढ़े तीन सौ टन सामान एक माह में केदारनाथ पहुंचाया गया है. अभी 300 टन और निर्माण सामग्री पहुंचाई जानी है. जब तक मौसम निर्माण के अनुकूल रहेगा, कार्य जारी रखा जाएगा. वर्तमान में चार सौ से अधिक मजदूर निर्माण कार्य में लगे हैं, जो नियमित रूप से कड़ाके की ठंड में भी काम कर रहे हैं.