Rudraprayag News: विश्व विख्यात केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) के दौरान प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर क्यूआर कोड लागू करने और पर्यावरण को प्लास्टिक से किसी प्रकार का नुकसान न हो, इसके लिये गुप्तकाशी से केदारनाथ तक प्लास्टिक की बोतल इकठ्ठा कराने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से की गई पहल को राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल इंडिया का थर्ड सिल्वर पुरस्कार प्राप्त हुआ है.


प्रशासन की इस पहल का जहां देश-विदेश में स्वागत हुआ है, वहीं हिमालय को पर्यावरण प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से भी बचाया गया. पूरे यात्रा सीजन के दौरान 33 हजार से अधिक की प्लास्टिक की बोतलें इकठ्ठा की गई. जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने यह पुरस्कार मिलने पर जिला प्रशासन, तहसील ऊखीमठ, रिसायकल संस्था और समस्त जनपद वासियों को बधाई दी है.


पर्यावरण को बचाने के लिए की गई पहल
बता दें कि केदारनाथ धाम की यात्रा पर इस बार रिकार्ड तोड 16 लाख यात्री पहुंचे थे. यात्रियों की बढ़ती भीड़ के कारण हिमालयी क्षेत्र केदारनाथ में कूढे़ के ढेर भी लग गए और इस कूड़े से हिमालय को बुग्यालों को नुकसान पहुंचने लगा. प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से पर्यावरण को बचाने के लिए प्रशासन ने हैदराबाद की एक संस्था के साथ मिलकर एक नई पहल शुरू की. इस पहल के अनुसार गुप्तकाशी से केदारनाथ तक प्रत्येक दुकानों में बिकने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर क्यूआर कोड़ लागू किया गया. 


इसके तहत जो भी यात्री अपने साथ प्लास्टिक की बोतल ले गया, उसको दस रूपये अतिरिक्त देने पड़े और बोतल को वापस लाने पर उसके दस रूपये वापस लौटाये गये. अगर कोई यात्री बोतल वापस नहीं लाया तो उसको प्रशासन की ओर से नियुक्त किए गए कर्मचारी की ओर से इकठ्ठा किया गया. 


इस प्रकार प्रशासन की इस पहल से हिमालय क्षेत्र को प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से बचाया गया. प्रशासन की इस मुहिम को राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया और डिजिटल इंडिया के रूप में तृतीय पुरस्कार दिया गया. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड इंफोर्मेशन ट्रेक्नोलॉजी की ओर से जिले को यह पुरस्कार सात जनवरी को दिल्ली में देश की राष्ट्रपति देंगी.


दुकानों में क्यूआर कोड लागू किए गए
केदारनाथ के उप जिलाधिकारी जितेन्द्र वर्मा ने बताया कि 6 मई 2022 को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रिसायकल संस्था ने ऊखीमठ तहसील प्रशासन, नगर पंचायत केदारनाथ, सुलभ इंटरनेशनल और यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के कर्मचारियों के साथ मिलकर मंदिर परिसर के पास की कुछ दुकानों से प्रोजेक्ट शुरु किया था. सफल परीक्षण के बाद गुप्तकाशी से केदारनाथ के बीच सभी दुकानों में क्यूआर कोड लागू किए गए. 


दूसरे चरण में यह सिस्टम चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर लागू किया गया, जहां इस प्रयोग को और गति मिली. केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर अब तक 33,307 प्लास्टिक बोतलें संस्था के काउन्टर पर इकठ्ठा की गई हैं. जबकि 1181 व्यवसायियों को 92,300 क्यूआर कोड वितरण किए जा चुके हैं. जिन दुकानों की क्यूआर कोड लगी बोतलें पूरी नहीं बिकी हैं, वे आने वाले समय में भी बेची जा सकती हैं.


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