UP News: देश का रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता जा रहा है. कल बीते शुक्रवार यानी 23 सितंबर को डॉलर के मुकाबले रुपया अबतक के सबसे निचले स्तर पर खुला. रुपये ने 81 प्रति डॉलर का स्तर पहली बार पार किया है. इस मामले पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि भारतीय रुपये की विश्व बाजार में लगातार गिरावट भले ही सरकार के प्रतिष्ठा से सीधे तौर पर न जुड़ी हो तथा लोगों को भी इसकी ख़ास चिन्ता न हो, किन्तु इससे देश की अर्थव्यवस्था चरमराती है व मनोबल भी टूटता है. मायावती ने कहा है कि सरकार महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी की तरह रुपये के अवमूल्यन को हल्के में न ले.
मायावती की नसीहत
मायावती ने ट्वीट करते हुए सरकार को घेरा है. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि देश के विदेशी मुद्रा भण्डार भी घटकर दो साल के निचले स्तर पर आ जाने की खबर सुर्खियों में है व रिजर्व बैंक और अन्य सभी चिन्तित व व्याकुल हैं, इसलिए सरकार की गलत आर्थिक नीतियों व प्राथमिकताओं का इसे दोष मानने के आरोप-प्रत्यारोप में न उलझ कर इस ओर त्वरित प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है. बता दें कि ब्लूमबर्ग के अनुसार, बीते गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया भारी गिरावट के साथ 80.86 के स्तर पर बंद हुआ था. गुरुवार को रुपये में आई गिरावट 24 फरवरी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट थी. विशेषज्ञों के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया 81 या 81.50 के स्तर तक जा सकता है.
क्या है वजह रुपये के कमजोर होने की वजह
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी मुद्रा कारोबारियों (Forex Traders) ने कहा कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में की गई 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी और यूक्रेन में भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ने का असर भी रिस्क उठाने की क्षमता पर पड़ा है. यही वजह है कि विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा मजबूत हुई है. घरेलू इक्विटी मार्केट का स्थिर ट्रेंड, निवेशकों की जोखिम उठाने की क्षमता में कमी और क्रूड ऑयल की कीमतों में आई तेजी का असर रुपये पर पड़ा है.