Russia-Ukraine Crisis: यूक्रेन में फंसे उत्तराखंड के नागरिकों की सूचनाएं उनके परिजनों से जुटाने में सरकारी तंत्र को मशक्कत करनी पड़ी. यही डेटा अगर सरकार के पास होता तो इतनी दिक्कतों से जूझना नहीं पड़ता और ना ही परिजनों से सूचनाएं आने का इंतजार करना पड़ता. शासन स्तर पर अगर सूचनाओं का संकलन होता तो विदेश में रहने वाले नागरिकों की जानकारी आसानी से मिल पाती. लेकिन यूक्रेन घटना ने पूरे सरकारी तंत्र की पोल खोलकर रख दी.


अपडेट सूचनाएं होती तो युद्धस्तर पर होता अभियान शुरू


यूक्रेन में जैसे ही हालात बिगड़े, सरकारी तंत्र ने परिजनों पर ये जिम्मेदारी छोड़ दी कि परिजन फोन करके बताएं कि उनके बच्चे और परिजन यूक्रेन में हैं. जबकि अगर डेटा अपडेट किया हुआ होता तो सरकार को परिजनों का मुंह नहीं ताकना पड़ता. इतना ही नहीं अपडेट डेटा से वहां रह रहे नागरिकों से संपर्क भी हो जाता और तुरंत उनके सकुशल वापसी भी की जा सकती थी. लेकिन उत्तराखंड के कौन-कौन लोग यूक्रेन में हैं इसको लेकर सूचनाएं संकलन करने में ही समय लग गया.


कोविड काल में भी खुली थी पोल


ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब डेटा जानने के लिए परिजनों पर जिम्मेदारियां दी गई. कोरोना काल में भी कोई अपडेट ना होने से परेशानियां हुई थी. जब कोरोना काल में सैकड़ों नागरिकों को विदेश से वापसी करनी पड़ी उस दौरान भी सरकार के पास कोई आंकड़ा नहीं था. उस समय भी कोई अपडेट सूचनाएं नहीं थी. लेकिन उसके बाद भी सरकारी तंत्र ने कोई सुध नहीं हुई.


डेटा संकलन आसान है, लेकिन जरूरत नहीं समझी गई


विदेश में रह रहे लोगों का डेटा संकलित करना आसान है. शासन स्तर पर विदेश में पढ़ने और नौकरी करने वाले लोगों के शैक्षणिक दस्तावेज प्रमाणित कराये जाते हैं. ऐसे में ये कौन-कौन लोग विदेश में कहां रह रहे हैं इसका डाटा आसानी से तैयार किया जा सकता है. लेकिन शायद इसकी कभी जरूरत ही नहीं समझी गई.


कांग्रेस-बीजेपी में डाटा पॉलिटिक्स


डाटा संकलन को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी की राज्य और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उपनेता प्रतिपक्ष करण माहरा ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार के पास आंकड़े ही नहीं हैं. करण माहरा ने ये भी कहा कि बाजेपी इस समय मैनेजमेंट लोगों को लाने में नहीं बल्कि अपनी छवि को सुधारने में लगी है.कांग्रेस सत्ता में आएगी तो डाटा संकलन पर बेहतर काम किया जाएगा.


उधर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र जुगरान ने कहा कि टेक्नोलॉजी एडवांस हो गई लेकिन हम संवेदनशील नहीं हो रहे हैं, हम लापरवाह हो गए हैं.प्रदेश के बाहरी देशों में रह रहे लोगों का डाटा एक क्लिक में होना चाहिए.जुगरान ने कहा कि आने वाले दिनों में इसको लेकर काम किया जाएगा।


कोविड काल हो या फिर अभी यूक्रेन संकट दोनों ही समय पर डाटा न होने से जो काम जल्दी हो जाना चाहिए था उसमे देरी हुई है. उत्तराखंड में अभी तक बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपीकी सरकारें रही.लेकिन सरकारी तंत्र इस मामले में सुस्त ही दिखाई दिया.हालांकि अब कांग्रेस हो या बीजेपी दोनों ही ये दावा कर रही है कि सत्ता में आने पर डाटा संकलन को लेकर विशेष काम किया जाएगा.


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