Russia Ukraine War: यूक्रेन में फंसी हरिद्वार की बेटी के लिए परिजन परेशान, पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार
उत्तराखंड के हरिद्वार से यूक्रेन गई बिटिया जंग में फंस गई है. मेडिकल की पढ़ाई करने गई बेटी नंदिनी को यूक्रेन गए अभी तीन महीने हुए थे. संकट की घड़ी में परिजनों ने पीएम मोदी पर भरोसा जताया है.
Russia Ukraine Conflict: उत्तराखंड के हरिद्वार से यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गई बेटी फंस गई है. नंदिनी को यूक्रेन गए अभी तीन महीने हुए थे. इस बीच रूस और यूक्रेन के बीच जंग छिड़ गई. वर्तमान परिस्थिति में बेटी को बंकर का सहारा है. खाने पीने के लिए भी खुद ही इंतजाम करना पड़ रहा है. बेटी युद्ध के हालात में भी डरी हुई नहीं है बल्कि भारत में माता-पिता से लगातार बात कर रही है और सांत्वना दे रही है. 20 वर्षीय नंदिनी शर्मा जगजीतपुर निवासी राकेश शर्मा और कल्पना शर्मा की बेटी है. परिजन बेटी की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं लेकिन उनका कहना है कि हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है.
'पीएम मोदी के होते हुए नंदनी का कुछ नहीं होगा'
उनका कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के होते हुए बिटिया का कुछ नहीं होगा. बेटी जल्दी परिजनों के बीच सकुशल वापस आ जाएगी. यूक्रेन में फंसे बच्चों को भारत लाने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयासों से दोनों संतुष्ट हैं और मानते हैं कि कुछ ही दिन में बिटिया भी घर पर होगी. पिता राकेश शर्मा बताते हैं कि नंदिनी एमबीबीएस करने स्वेच्छा से पढ़ाई 10 दिसंबर को गई थी. पढ़ाई का खर्चा कम होने से उम्मीद थी कि बेटी यूक्रेन में पढ़ लेगी. नंदनी के हवाले से बताते हैं कि आपातकाल घोषित होने के बाद मेस से खाना बंद हो गया है. खाने पीने की खुद ही व्यवस्था करनी पड़ रही है. हमने सलाह दी थी कि बचे हुए पैसे से जाकर खाने पीने का सामान खरीद लो.
यूक्रेन में फंसी बेटी के पास 8-10 दिन का सामान
परिजनों ने बताया कि बेटी को 8-10 दिन का ही सामान मिल पाया है. बिस्किट, ब्रेड लाकर रख लिया है लेकिन दिन गुजरने के साथ अब बच्चों को मानसिक तनाव होने लगा है. परिजनों की चिंता है कि बच्चे वर्तमान परिस्थिति में कैसे आएंगे, क्या होगा और किस लिए बच्चों को भेजा था, हो क्या गया, बच्चों पर पैसा खर्च कर अपनों से दूर किया था. उन्होंने बताया कि सरकार से संपर्क किया गया है, शासन का फोन भी आ रहा है. मगर शासन भी क्या कर सकता है. नाम भेज दिया है बाकी स्थिति सामान्य होने पर देखा जाएगा क्या होगा. अब तो प्रार्थना है कि बच्चे वापस आ जाएं. 24 घंटे डर का माहौल है और पढ़ाई भी बंद है. यूक्रेन में फंसे बच्चों को भूख नींद गायब है. हर समय तैयार रहना पड़ रहा है.
इमारतों के बेसमेंट को बंद कर बंकर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. यूक्रेन में फंसे बच्चों को कई तरह की हिदायतें दी जा रही हैं. रात में सोने पर कमरा बंद करने की मनाही है, गहरी नींद नहीं सोना है. कुछ होने पर सारे बच्चे एक साथ अपना अपना बैग लेकर भागें. इस तरह भय के माहौल में बच्चे रहने को मजबूर हैं. हरिद्वार के दो तीन बच्चे और हैं. एक बच्चा अन्य जगह पर है. हमारी बच्चे से लगातार बात हो रही है. सरकार ने अब जो कदम उठाया है अगर पहले ही एडवाइजरी जारी कर कह देती आपको रहना नहीं है. हम बच्चों को कितना भी खर्च कर वापस बुला लेते. मोदी जी पर विश्वास है कि बच्चे सुरक्षित आ जाएंगे.
खर्चा तो सभी गार्जियन देने को तैयार हैं. हवाई कंपनियां बढ़ा कर भी लेंगी तो दे देंगे. बस इतना है कि बच्चे सुरक्षित घर लौट आएं. नंदनी की मां अलका शर्मा का कहना है कि मोदी जी बहुत कर रहे हैं. बच्चों को लाने के लिए बहुत कोशिश में लगे हुए हैं. भारत के सभी बच्चों को बुलाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी जी पर विश्वास है. बच्चों की चिंता तो हर मां-बाप को होती ही है लेकिन सब बच्चे एक साथ हैं, इससे थोड़ा मन को तसल्ली दे लेते हैं, सभी के मां-बाप चिंता में हैं. मन में यही बात है कि जल्दी से जल्दी आ जाएं. घर पर सुरक्षित लौट आएं और बच्ची को टेंशन न हो. बच्ची हमें ही हौसला देती है कि आप टेंशन मत लो, हम यहां ठीक हैं. ठीक-ठाक घर पर आ जाएंगे. 3 महीने पहले ही बच्ची गई थी. अब युद्ध के हालात बन गए हैं लेकिन क्या करें सबके साथ ऐसा ही है.