Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन में चल रही लड़ाई के बीच वहां पर काफी तादाद में भारत और अन्य देशों के छात्र फंसे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर छात्र वहां से एमबीबीएस करने गए थे और युद्ध के दौरान वहीं फंस गए. ऐसे छात्रों को वहां से निकालने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है और उसमें वह सफल भी रही है. कई बच्चे यूक्रेन से वापस हिंदुस्तान लौट कर आ चुके हैं और आगे भी उनका आना जारी है.
ऐसे ही अलीगढ़ की रहने वाली छात्रा फागुनी धीरज कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए युद्ध के बीच भारत सरकार की मदद से वापस अपने घर अलीगढ़ लौट आई हैं और उन्होंने आकर ईश्वर के साथ-साथ और भारत सरकार को धन्यवाद कहा है. फागुनी ने बताया कि किन कठिन परिस्थितियों से उन्हें जूझना पड़ा और वहां के कैसे हालात देखे. फागुनी सेकंड ईयर की छात्रा हैं.
पीने को नहीं था पानी, कई बार तो छोड़ दी थी लौटने की उम्मीद
फागुनी धीरज ने बताया कि हम जैसे छात्र यूक्रेन के जिस शहर में थे वहां से ट्रैवल कर रोमानिया और पोलैंड के बॉर्डर पर पहुंचे. वहां इतनी डिफिकल्ट सिचुएशन थी इतनी भीड़ थी कि बच्चे दब रहे थे. मेरी हालत ऐसी हो गई थी कि पानी न मिलने की वजह से नाक से ब्लीडिंग शुरू हो गई थी. सबको ही वापस जाना था. वहां करीब 2000 से ज्यादा छात्रा मौजूद थे. किसी को चांस नहीं मिल रहा था और गेट थोड़ी देर के लिए ही खुलता था और फिर बंद कर देते थे. बच्चे काफी परेशान हो गए थे. आगे पहुंचने के बाद भी वह वापस आ रहे थे. काफी जद्दोजहद के बाद मैं भी वहां तक पहुंची और कई बार तो हमने उम्मीद छोड़ दी थी कि हम अपने देश जा पाएंगे या नहीं. खाना बहुत थोड़ा था, पानी बहुत कम था और बच्चे बढ़ते जा रहे थे. हमारे देश के और भी अन्य देशों के बच्चे वहां पर मौजूद थे.
'जो वहां फंसे हुए हैं वे हिम्मत न हारे उम्मीद न छोड़ें'
फागुनी धीरज ने कहा कि मैं कहना चाहूंगी कि जो बच्चे वहां बचे हुए हैं वह अपनी हिम्मत न हारे. अपनी उम्मीद न छोड़ें. भगवान पर भरोसा रखें और लाइन में लगे रहे. अगर नहीं लगेंगे तो नहीं पहुंच पाएंगे. बहुत डरावना मंजर था. दो पल के लिए तो मुझे ऐसा लगा कि हम इंडियन आर्मी है जो इतनी टफ सिचुएशन से हम गुजर रहे हैं. इतना ठंड था. कंबल भी नहीं था और रात भी हमने ठंड में बिताई. यूक्रेन में माईनस डिग्री तापमान था. बहुत कठिन समस्या थी.
केंद्र सरकार का जताया आभार
छात्रा ने कहा कि मैं भारत सरकार को धन्यवाद कहना चाहूंगी कि इतनी कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने हमारा साथ दिया जिससे कि हमारे सभी साथी और हम लोग वापस आ सके. इतने कम समय में भी हम को आने का मौका मिला. सरकार ने इतना अच्छा इंतजाम किया खाने का. बॉर्डर के पार जाकर जो हमको सारी चीजें मिली खाना पानी सब मिला. भारत सरकार का बहुत बड़ा अरेंजमेंट था जो एयरपोर्ट पहुंचने के बाद हमारे लिए अच्छे से खाना पानी अरेंजमेंट हुआ.
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