Russia Ukraine War: यूक्रेन से लौटे छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होने से मिली राहत, शिक्षकों की कर रहे हैं तारीफ
Russia Ukraine War: रूस- यूक्रेन युद्ध के बीच भारत लौटे मेडिकल के छात्रों के लिए राहत भरी खबर है. यूक्रेन के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं.
Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत लौटे मेडिकल के छात्रों (medical students) के लिए राहत भरी खबर है. यूक्रेन से गौतमबुद्ध नगर (gautam buddha nagar) अपने घरों को वापस लौटे मेडिकल के छात्रों ने युद्धग्रस्त देश से शिक्षकों द्वारा संचालित की जा रही ऑनलाइन कक्षाओं (online classes) में भाग लेना शुरू कर दिया है.
ऑनलाइन कक्षाओं से मिली है राहत
मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के लिए परेशान छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं राहत लेकर आई है. छात्रों का कहना है कि गोलाबारी और सायरन के आवाज के बीच ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं. कीव में बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीए तृतीय वर्ष की छात्रा रिया शर्मा बताती है कि, "14 मार्च से हमारी ऑनलाइन कक्षाएं शुरू हुई हैं हमें इस सेमेस्टर में क्लिनिकल स्टडी में प्रैक्टिकल पढ़ाया जाना था, लेकिन हमें ऑनलाइन होने वाली थ्योरी कक्षाओं के साथ करना होगा. कक्षाएं लगभग चार से पांच घंटे के लिए आयोजित की जा रही हैं लेकिन लगभग हर दिन उन्हें बीच में ही रद्द करना पड़ता है इसके पीछे उन्होने कारण बताया कि जिस जगह से ऑनलाइन कक्षाएं ली जाती है उसके आस-पास बमबारी होती रहती है.'' रिया सेक्टर- 49, नोएडा में शताब्दी विहार की निवासी. वह सात मार्च को भारत लौटी थीं.
छात्र नहीं पढ़ पा रहे हैं सिलेबस के अनुसार
डीन प्रो स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांचवें वर्ष के छात्र ललित पाठक का कहना है कि छात्र अपनी मेडिकल शिक्षा में पिछड़ने को लेकर चिंतित हैं वह अपने सिलेबस के अनुसार नहीं पढ़ पा रहे हैं. उन्होने कहा कि, ''हमारी ऑनलाइन कक्षाएं 14 मार्च से शुरू हुईं और प्रतिदिन तीन घंटे चलती हैं. टीचर ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प खोजने की कोशिश कर रहे हैं और हमें मरीज के केस स्टडी दे रहे हैं. हमें उस मरीज को बीमारी से निदान कैसे मिले यह बताना है. सभी विदेशी छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं. इन सबके के बीच हमें इस बात की ज्यादा चिंता है कि हमें डिग्री मिल पाएगी या नहीं.'' ललित सेक्टर 45, नोएडा के निवासी है और 4 मार्च को भारत लौटे थे.
छात्र हैं टीचरों के आभारी
ललित बताते हैं कि, ''छात्र अपने यूक्रेनी टीचरों के आभारी हैं जो विदेशी छात्रों के लिए कक्षाएं आयोजित करने के लिए भारी बाधाओं के खिलाफ लड़ रहे हैं. पिछले पांच वर्षों में मैंने यूक्रेन में पढ़ाई किया है, हमने टीचरों के साथ अच्छे संबंध बनाए हैं और उनके और उनके परिवारों के लिए चिंतित हैं. इस समय कई ऐसे भी शिक्षक हैं जिनके पति, भाई या बेटे युद्ध में लड़ रहे हैं.''
शिक्षकों को बीच-बीच में छोड़नी पड़ती है ऑनलाइन कक्षाएं
यूक्रेन में उज़होरोड नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रथम वर्ष के छात्र राहुल चौहान ने कहा कि, ''छात्रों को इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है. हमारी कक्षाएं सात मार्च से शुरू हुईं हैं और रोजाना पांच घंटे चलती हैं. हालांकि, टीचरों को अक्सर बीच में ही कक्षाएं छोड़नी पड़ती है और सायरन बजने पर बंकरों की ओर भागना पड़ता है. शिक्षक हमें सिखाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और हम उनके बहुत आभारी हैं.''
शिक्षक अपनी मातृभूमि छ़ोडने को नहीं है तैयार
राहुल ने कहा कि, ''अधिकांश यूक्रेनी टीचरों ने युद्ध से तबाह होने के बावजूद अपना देश नहीं छोड़ने का फैसला किया है. ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान, छात्र अक्सर यूक्रेनी टीचरों की सलामती के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं. हालांकि, वे कहते हैं कि वे अपनी मातृभूमि नहीं छोड़ेंगे और जारी युद्ध के बीच हमें पढ़ाते रहेंगे.
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