जब पुकारा गया ये नाम सब रह गये हैरान, अब कैबिनेट में मिला सबसे बड़ा रोल
एस जयशंकर मोदी कैबिनेट का हिस्सा होंगे, इस बात की खबर किसी को नहीं थी। विदेश सचिव रहते हुये विदेश नीति में मोदी के पसंदीदा बन चुके थे।
नई दिल्ली, एबीपी गंगा। नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। नई सरकार का गठन हो चुका है। गुरुवार को शपथ लेकर मोदी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों को विभागों का जिम्मा सौंपा दिया गया है। इन सभी में सबसे ज्यादा हैरान करनेवाला नाम पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर का रहा। ये ऐसा फैसला था कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। जयशंकर को विदेश मंत्री बनाया गया। एस जयशंकर को मोदी का करीबी माना जाता है। चीन के साथ लंबे चले डोकलाम विवाद को हल करने में इनकी बड़ी भूमिका मानी जाती है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी जब पहली बार देश के पीएम बने तब खासतौर पर उन्हें विदेश सचिव बनाया गया था।
गौरतलब है कि जयशंकर अमेरिका, चीन समेत विभिन्न देशों के साथ हुई कई कूटनीतिक बातचीत का हिस्सा रह चुके हैं। साथ ही जयशंकर को चीन मामलों का एक्सपर्ट माना जाता है। साल 2012 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर चीन के दौरे पर गये थे और जयशंकर इस दौरान राजदूत के पद पर तैनात थे। इसी दौरान दोनों में जान पहचान हुई। वे 2009 से लेकर 2013 तक चीन के राजदूत के पद पर रहे। यही दौर था जब जयशंकर मोदी की पसंद बन चुके थे। इसका नतीजा आ सभी के सामने हैं।
इस तरह बने विदेश सचिव
साल 2015 में विदेश सचिव सुजाता सिंह की विदाई के बाद पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की एक बैठक में एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाने का फैसला लिया गया था। जयशंकर उन राजनयिकों में से हैं, जिन्हें चीन, अमेरिका और रूस तीनों ही देशों में काम करने का अनुभव है।
जयशंकर ने विदेश सचिव के रूप में अमेरिका, चीन समेत कई देशों के साथ भी अहम बातचीत में हिस्सा लिया। चीन के साथ 73 दिन तक चले डोकलाम विवाद को सुलझाने में भी जयशंकर का अहम रोल निभाया था। इससे पहले 2010 में चीन द्वारा जम्मू कश्मीर के लोगों को स्टेपल वीजा दिया जाता था। इस पॉलिसी को बदलवाने में भी जयशंकर का अहम रोल रहा।
एस जयशंकर ने सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की पहली अमेरिका यात्रा की योजना तैयार की और इसे सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई, जब मोदी ने अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर पर प्रवासी भारतीय सम्मेलन को संबोधित किया। जनवरी 2015 से लेकर जनवरी 2018 तक विदेश सचिव रहते हुए उन्होंने मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान उनकी विदेश नीति को आकार देने में अहम भूमिका निभाई, जिसके चलते खासतौर से अमेरिका और अरब देशों समेत प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंध को महत्वपूर्ण विकास व विस्तार मिला।
शिक्षा और परिवार
नई दिल्ली में जन्मे जयशंकर की शिक्षा एयरफोर्स स्कूल और सेंट स्टीफेंस कॉलेज में हुई। वह भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक स्व. के. सुब्रमण्यम के पुत्र हैं। उनकी पत्नी का नाम क्योको जयशंकर है और उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं। उन्हें कुल 36 साल का राजनयिक अनुभव है। जयशंकर ने पॉलिटिकल साइंस से एमए करने के अलावा एम. फिल और पीएचडी भी किया है। वह इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटिजक स्टडी लंदन के भी सदस्य हैं।