लखनऊ: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर के भूमि पूजन समारोह की चल रही तैयारियों के बीच हिन्दूवादी नेता साध्वी ऋतम्भरा ने मंदिर आंदोलन में प्राण न्यौछावर करने वाले अपने सैकड़ों ज्ञात-अज्ञात भाइयों को रक्षाबंधन का त्यौहार समर्पित किया है. साध्वी ने इस सिलसिले में रविवार को लिखे एक खुले पत्र में कहा कि, ''वर्ष 2020 का यह रक्षाबंधन अभूतपूर्व है. मुझे अपने चारों तरफ 15-20 साल के अपने नौजवान भाइयों से लेकर 95 वर्ष तक के वयोवृद्ध भाई दिखाई देते हैं. मेरा यह रक्षाबंधन मेरे उन सभी ज्ञात-अज्ञात भाइयों को समर्पित है, जिनमें से बहुतों को मैंने कभी रक्षा सूत्र नहीं बांधे, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा ही मेरे आह्वान पर अपने प्राण राष्ट्र पर न्यौछावर करने का वचन दिया''


साध्वी ने पत्र में लिखा है, ''आज मुझे श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वे हजारों भाई याद आते हैं, जिनका मेरे साथ कोई खून का रिश्ता नहीं था. उनमें से कोई भी मुझसे कभी नहीं मिले थे, लेकिन उन्होंने मेरी सभाओं में 'लाठी गोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का गगनभेदी उद्घोष करते हुए वचन दिया था कि बहन हम आपकी इस प्रतिज्ञा की लाज अपने जीवन के अंतिम सांस तक निभाएंगे.''
राम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली ऋतम्भरा ने पत्र में लिखा है कि, ''आज इस रक्षाबंधन पर जब अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का काम शुरू होने की घड़ी आ रही है. मुझे भाई राम और शरद कोठारी जैसे हजारों भाइयों का स्मरण होता है, जिन्होंने एक बहन को दिए गए वचन को निभाया. राम की देहरी पर अपना सब कुछ लुटा कर जो भाई चले गए उनका बलिदान अप्रतिम था''


ऋतम्भरा ने पत्र में कहा कि, ''मेरे जिन भाइयों ने एक लंबी अदालती लड़ाई लड़ कर राम जन्मभूमि पर हिंदुओं को उनका वैधानिक और संपूर्ण अधिकार दिलवाया, उनकी इस कृतज्ञता का कर्ज कभी नहीं छुपाया जा सकेगा. राम के देश में उनके अस्तित्व को ही नकारने वालों से लंबा संघर्ष उनके होने के प्रमाण मांगे जाने और अयोध्या पर प्रश्न चिन्ह लगाने वालों को मेरे वयोवृद्ध भाई परासरण जी ने अदालतों की अंतहीन दिखने वाली जिरहों में जिस बेबाकी से जवाब दिया, उसका कर्ज हम कभी नहीं चुका सकेंगे.''



ऋतम्भरा अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियुक्त के तौर पर गत 29 जून को सीबीआई की विशेष अदालत में हाजिर हुई थीं. उन्होंने अपने बयान में कहा था कि उन्हें बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में बेवजह फंसाया गया है. वो पूरी तरह निर्दोष हैं.


गौरतलब है कि, उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 9 नवंबर को अयोध्या के विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर मुकदमे में फैसला सुनाते हुए राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया. साथ ही, मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया था.


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