UP News: 17 मार्च के दिन दिल्ली के जंतर मंतर पर वक्फ संशोधन बिल को लेकर हुए प्रदर्शन का शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने भी समर्थन किया. उनका कहना है कि इस बिल को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता है. इसके आधार पर हमारे मस्जिद, कब्रिस्तान और मसाजिद पर खतरे का बादल मंडरा जाएगा. हम एक बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि जब तक यह बिल वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक इसका विरोध जारी रहेगा.


एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि बीते 10 सालों में हमारे मजहब पर खूब जुल्म-अत्याचार हुए हैं. नफरत को पूरी तरह से घोल दिया गया है. जबकि हमारा मुल्क पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत जमहूरियत वाला मुल्क रहा है. इस बिल के आधार पर हमारी संपत्ति, मस्जिद, कब्रिस्तान और मसाजिद पर खतरे के बादल मंडराने लगेंगे और इसीलिए इस बिल को स्वीकार नहीं किया जा सकता और इसका विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता.


उन्होंने कहा कि वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में भी सभी कागज होने के बावजूद यह मामला सामने आया, एक मायूसी का माहौल है. वहीं वाराणसी की वक्फ प्रॉपर्टी की सरकारी संपत्ति होने वाले प्रशासनिक रिपोर्ट पर उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी मुस्लिम को इस सर्वे में शामिल नहीं किया गया और न जाने इस सर्वे का आधार क्या है. जब तक हमारे अंदर ताकत रहेगी, तब तक हम इस जुल्म का विरोध करते रहेंगे. संवैधानिक दायरे के साथ ही राजधानी दिल्ली के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में भी विरोध होना संभव है क्योंकि यह बहुत खतरनाक मामला है.


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औरंगजेब को लेकर भी कही बड़ी बात
वहीं औरंगजेब मामले को लेकर भी शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि एक जमाने से औरंगजेब की छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है. इधर कुछ समय से ज्यादा बढ़ चुका है. वह ताकत में है इसलिए उनका मनोबल बढ़ा हुआ है. आलमगीर, औरंगजेब और रहमतुल्लाह जैसे जांबाज ईमानदार और अच्छे बादशाह कम ही रहे हैं. इन्होंने मुसलमान के साथ-साथ हिंदुओं को भी मिलाया है, अच्छा सुलूक किया. उसके सबूत आज भी मौजूद हैं.


उन्होंने कहा कि नॉन मुस्लिम लोगों ने उनके बारे में अपनी-अपनी किताबों में लिखा है. अगर वह गलत करते तो इन लोगों ने अपनी किताबों में क्यों लिखा. दरअसल, यह सब केवल सत्ता की गर्मी की वजह से हो रहा है. सच्चाई से इसका कोई ताल्लुक नहीं है. औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर भी कहा कि ताकत के नशे में कुछ भी आदमी कर सकता है. शिवसेना मुखपत्र सामना में हिंदू तालिबान शब्द पर कहा कि गलत बातों का कभी समर्थन नहीं. इससे तुलना करना सही नहीं है.