Scrap Policy: उत्तर प्रदेश की सहारनपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में वाहनों को लेकर लाई गई स्क्रैप पॉलिसी 2021 पर सवाल उठाते हुए उस पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कई ऐसे वाहन है जो अच्छे रखरखाव और कम इस्तेमाल करने की वजह से काफी अच्छी स्थिति में है. ऐसे में उनके प्रयोग के दायरे को बढ़ाना चाहिए. 


कांग्रेस सांसद ने इससे संबंध में सड़क परिवहन मंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा,   'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण की समस्या को लेकर 2021 में वाहन स्कैप पॉलिसी लायी गयी थी जिसमें डीजल चलित वाहनों की उम्र सीमा 10 वर्ष तथा पैट्रोल चलित वाहनों की उम्र सीमा 15 वर्ष नियत की गयी है. वाहन स्कैप पॉलिसी को लाये जाते समय वाहन की वर्तमान दशा, उसके कुल किलोमीटर प्रयोग, प्रयोग का प्रकार तथा उसके प्रदूषण स्तर का कोई मानक नहीं माना गया.  


स्क्रैप पॉलिसी पर पुनर्विचार की मांग
कुछ पन्द्रह साल पुराने वाहन आज भी रखरखाव एवं कम प्रयोग के कारण बेहतरीन स्थिति में है और कुछ आठ दस साल पुराने वाहन भी बहुत ज्यादा और बेतरतीब प्रयोग के कारण बिल्कुल खटारा स्थिति में होते हैं. महोदय, वाहन चाहे डीजल चलित हो या पेट्रोल चलित, व्यवसायिक वाहन और निजी वाहन दोनों के प्रयोग में बहुत अंतर होता है. दोनों के प्रयोग का दायरा भी बेहद अलग होता है. 



व्यवसायिक वाहन का प्रयोग जहां प्रतिदिन और दिन में 18 से 20 घंटे तक किया जाता है वहीं निजी वाहन का प्रयोग सुविधा या जरूरत के आधार पर किसी किसी घर में तो महीने में दो तीन बार ही हो पाता है. डीजल चलित टैक्सी कार एक वर्ष में जितना सफर कर लेती है उतना सफर एक निजी डीजल कार पन्द्रह वर्ष में भी नहीं कर पाती है. दोनों के रखरखाव में भारी अंतर होता है. फिर व्यवसायिक वाहन तथा निजी वाहन दोनों की उम्र सीमा या प्रदूषण फैलाने की सीमा एक समान कैसे हो सकती है.


पॉलिसी पर क्यों होना चाहिए पुनर्विचार
महोदय, किसी भी वाहन का गीयर बॉक्स, बॉडी, शीशा, टायर, वायरिंग, रंग आदि तो प्रदूषण का कारण नहीं बनते हैं. प्रदूषण तो सिर्फ वाहन के इंजन और एग्जास्ट सिस्टम से ही हो सकता है. सिर्फ इन दो चीजों को बदलने या अप टू मार्क करने पर जोर देने के स्थान पर पूरे वाहन को ही क्यों बदला जा रहा है? इंजिन या एम्जास्ट सिस्टम के संभावित दोष के कारण पूरी गाड़ी को ही कबाड़ क्यों बनाया जा रहा है?


महोदय, एक आम मध्यम वर्गीय परिवार बड़ी मुश्किलों के बाद अपने जीवन में किसी प्रकार एक अदद वाहन को खरीद पाता है. लगभग नई समान गाड़ियां या तो कटने के कगार पर हैं या फिर उन्हें बहुत कम दामों पर दूरस्थ प्रदेशों में बिक्री के लिये भेजा जा रहा है. आशा करता हूं कि आम आदमी की परेशानी को समझते हुए आप वाहन स्कैप पॉलिसी पर पुर्नविचार करने का कष्ट करेगें. 


कन्नौज रेप केस: 'अखिलेश यादव के करीबी नाबालिग रेप पीड़िता पर लांछन लगा रही'- BJP