Darul Uloom Deoband: प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में दीनी तालीम के दौरान छात्रों को बाहर जाकर अंग्रेजी या दीगर शिक्षा से दूर रहना होगा. छात्रों के लिए दारुल उलूम देवबंद ने नया आदेश जारी किया है. कहा गया है कि बाहर जाकर अंग्रेजी या अन्य कोर्स की पढ़ाई करने से दीनी तालीम प्रभावित होती है. अंग्रेजी या दीगर पाठ्यक्रम की पढ़ाई पर पाबंदी लगाने का मकसद इस्लामी शिक्षण संस्थान की शिक्षा व्यवस्था को बरकरार रखना है.
छात्रों के लिए दारुल उलूम देवबंद का नया आदेश
नए आदेश के मुताबिक बाहर जाकर दूसरे कोर्स की पढ़ाई छात्र नहीं कर सकेंगे. दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग ने 12 जून को जारी एक आदेश में कहा, 'छात्रों को सूचित किया जाता है कि दारुल उलूम देवबंद में शिक्षा ग्रहण करते हुए दूसरे किसी तालीम (इंग्लिश आदि) की इजाजत नहीं होगी. अगर कोई छात्र इस काम में शामिल पाया गया या विश्वस्त सूत्रों से उसके इस अमल की निशानदेही होगी तो उसे निष्कासित कर दिया जाएगा.' आदेश में आगे कहा गया है, 'शिक्षण अवधि में कोई भी छात्र क्लास को छोड़कर अपने कमरे में न रहे. दारुल उलूम प्रशासन किसी भी वक्त किसी भी कमरे का मुआयना कर सकता है. अगर कोई छात्र क्लास के बदले अपने कमरे में पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’’
शिक्षण ग्रहण करते हुए दीगर तालीम पर प्रतिबंध
कहा गया है कि अगर कोई छात्र क्लास में हाजिरी बोलकर सबक खत्म होने से पहले चला गया या घंटे के आखिर में हाजिरी दर्ज कराने के लिए क्लास में दाखिल होता पाया गया तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी. मामले पर मीडिया में चर्चा होने के बाद दारुल उलूम देवबंद ने सफाई भी पेश की है. संस्थान के मोहतमिम (मुख्य कर्ताधर्ता) मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने 'पीटीआई- भाषा' को बताया, 'कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद में अंग्रेजी पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई है, लेकिन ऐसा नहीं है. दारुल उलूम में बाकायदा अंग्रेजी का एक अलग विभाग है और बच्चों को इसकी तालीम दी जा रही है.' उन्होंने कहा, 'यह पाबंदी सिर्फ उन छात्रों के लिए है जो दारुल उलूम देवबंद में दाखिला तो आलिम और फाजिल कोर्स के लिए लेते हैं लेकिन यहां न पढ़कर अंग्रेजी या दूसरी पढ़ाई के लिए किसी कोचिंग सेंटर में जाते हैं.
अंग्रेजी पढ़ने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है. दारुल उलूम में छात्रों के लिए पूरे 24 घंटे का अलग-अलग शिक्षण और प्रशिक्षण कार्य निर्धारित हैं. ऐसे में छात्रों के बाहर चले जाने से इस संस्थान में उनकी शिक्षा प्रभावित होती है.' नोमानी ने बताया, ‘‘यह पाबंदी सिर्फ इन्हीं छात्रों के लिए नहीं है बल्कि कई ऐसे छात्र हैं जो मदरसे में दाखिला लेने के बावजूद बाहर अपना कारोबार करते हैं. चाय का ठेला लगाते हैं. उन सभी के ऐसा करने पर पाबंदी लगाई गई है. उसी तरह इन छात्रों पर भी पाबंदी लगाई गई है कि अगर उन्होंने किसी कोर्स में दाखिला लिया है तो उस पर पूरा मन लगाकर पढ़ाई की जाए.’’
इस बीच, दारुल उलूम देवबंद के प्रधानाध्यापक और जमीअत उलमा-ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह शिक्षण संस्थान अंग्रेजी और कंप्यूटर की आधुनिक शिक्षा का विरोध नहीं करता बल्कि संस्थान के अंदर बाकायदा इनके अलग-अलग विभाग हैं, जहां दाखिला लेकर छात्र तालीम हासिल करते हैं लेकिन अक्सर यह देखा जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद में प्रवेश लेकर छात्र बाहर कोचिंग करने जाते हैं. उन्होंने छात्रों के इस कृत्य को गलत ठहराया. अरशद मदनी ने साफ किया कि पाबंदी इसी वजह से लगाई गई है.