'इस्लाम की तालीमात से मेल नहीं खाती', मौलाना इसहाक गोरा ने नए साल का जश्न न मनाने की दी सलाह
New Year Celebration Fatwa: नए साल के जश्न को लेकर जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने नए साल के जश्न को इस्लामी तालीम के खिलाफ बताया है.
Saharanpur News Today: नए साल शुरू होने में महज कुछ ही घंटे बाकी हैं, लेकिन उससे पहले नए साल का जश्न न मनाने का 'हराम' करार देने के बाद एक नई चर्चा शुरू हो गई है. नए साल का जश्न मनाने को लेकर गोरा के प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा और जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा का बड़ा बयान सामने आया है.
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि नए साल का जश्न न मनाएं मुसलमान. यह इस्लाम की तालीमात से मेल नहीं खाता और मुसलमानों को इससे बचने की जरूरत है. जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि इस्लाम एक मुकम्मल जिंदगी का निजाम है, जो मुसलमानों को हर मामले में रहनुमाई करता है.
'इस्लामी तालीमात से मेल नहीं खाती'
कारी इसहाक गोरा ने नए साल के जश्न के सिलसिले में आगे कहा कहा कि यह इस्लाम की तालीमात से मेल नहीं खाता और मुसलमानों को इससे बचने की जरूरत है. उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि नया साल मनाना या इस मौके पर पार्टी, म्यूजिक, डांस और आतिशबाजी जैसी सरगर्मियों में शरीक होना, इस्लामी तालीमात के खिलाफ है.
सिर्फ इन त्योहारों को मनाने पर जोर
गोरा के प्रसिद्ध उलेमा मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, "इस्लाम अपने मानने वालों को सिर्फ उन्हीं त्योहारों के जश्न की इजाजत देता है, जो शरीयत के मुताबिक है. जैसे ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा." उन्होंने कहा, "इन खास मौकों पर भी जश्न अल्लाह की इबादत, शुक्रगुजारी और भाईचारे के इर्द-गिर्द होता है." मौलाना कारी इसहाक गोरा ने मुसलमानों से अपील की कि वह गैर-इस्लामी रस्मों और रिवायतों से बचें और अपने वक्त और माल को नेक कामों में लगाएं.
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि आज के दौर में हमें अपनी नई नस्ल को इस्लामी तालीमात के मुताबिक तरबियत देने की सख्त जरूरत है. उन्होंने आगे कहा, "अगर हम इस्लामी तालीमात पर अमल करेंगे तो न सिर्फ हम अपनी दुनिया और आखिरत को बेहतर बना सकते हैं बल्कि मुआशरे में भी अमन और खुशहाली ला सकते हैं." उन्होंने कहा, "नए साल का जश्न मनाना एक गैर-इस्लामी तहजीब है, जिसे अपनाने से हमें बचना चाहिए."
नौजवानों से की खास अपील
मौलाना कारी इसहाक गोरा के मुताबिक, आतिशबाजी, म्यूजिक और फिजूलखर्ची से मुआशरे (समाज) में फसाद पैदा होता है, इसके अलावा यह अल्लाह की नाराजगी का भी सबब बनता है. मौलाना इसहाक गोरा ने नौजवानों को नसीहत दी कि वह अपने वक्त को ऐसे कामों में जाया न करें, जो मजहबी और मुआशराती लिहाज से नुकसानदेह है. मौलाना ने मुसलमानों से अपील की कि वह इस्लामी तालीमात को समझें और अपनी जिंदगी को उसके मुताबिक ढालें.
इस संबंध में मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, " हमें अल्लाह से माफी मांगनी चाहिए और अपनी जिंदगी को इस्लामी तहजीब और अखलाक के मुताबिक गुजारने की कोशिश करनी चाहिए." उन्होंने आगे कहा, "नया साल मनाने की बजाय मुसलमानों को इस मौके पर अपना हिसाब लेना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि वह अपनी जिंदगी को अल्लाह और उसके रसूल की तालीमात के मुताबिक कैसे बेहतर बना सकते हैं."
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