Saharanpur News: दरगाह में भीख मांगने वाला लड़का रातोरात करोड़पति निकल आए, तो यह बात किसी काल्पनिक कहानी जैसी लगती है. ऐसी कहानी अगर फिल्मों में हो तो लोग बड़े चाव से देखें, लेकिन यह मानना मुश्किल है कि वास्तविक जीवन में यह सच हो सकता है. दरअसल, उत्तराखंड के रुड़की में एक दरगाह है पिरान कलियर, जिसके बाहर 10 साल का एक लड़का करीब साल भर से भीख मांगता रहा था. 


गंदे कपड़े पहने लोगों के सामने एक-एक रुपये के लिए गिड़गिड़ाते हुए ही उसकी जिंदगी कट रही थी, लेकिन अचानक एक दिन उसके जीवन का ऐसा रहस्य खुला कि न सिर्फ अनाथ बच्चे को उसका परिवार मिल गया, बल्कि उसकी किस्मत भी बदल गई. पाई-पाई के लिए मोहताज 10 साल का वह लड़का करोड़ों की संपत्ति का मालिक निकला. एक साल पहले वह अपने परिवार से बिछड़ गया था और दरगाह में भीख मांगने लगा था. जिसने भी बच्चे का यह सच सुना, उसके होश उड़ गए.


क्या है पूरा मामला?
बच्चे की पहचान 10 साल के शाहजेब आलम के रूप में हुई है, जो सहारनपुर के पंडौली गांव का रहने वाला है. उसके पिता मोहम्मद नावेद की साल 2019 में लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी. पिता की मौत से कुछ ही महीने पहले शाहजेब की मां इमराना पति को छोड़कर अपने मायके में रहने लगी थीं. बाद में वह शाहजेब को लेकर पिरान कलियर रहने के लिए चली गईं और जीने-खाने के लिए छोटे-मोटे काम करने लगीं, लेकिन, बच्चे के जीवन में विपत्ति का एक और पहाड़ तब टूट पड़ा, जब साल 2021 में इमराना की कोरोना से मौत हो गई.


मासूम शाहजेब जब अनाथ हो गया तो उसके पड़ोसियों ने उसे पिरान कलियर में सूफी संप्रदाय के प्रतिष्ठित तीर्थस्थल में शरण लेने की सलाह दी. इसके बाद से ही शाहजेब अनाथ की तरह वहां रहकर भीख मांगता रहा है. जीने के लिए वह पूरी तरह से लोगों के दान-दक्षिणा पर ही निर्भर हो गया था. इसी बीच, शाहजेब के दादा मोहम्मद याकूब ने उसके लिए ऐसा रास्ता खोल दिया कि उसकी जिंदगी बदल गई. याकूब ने अपनी वसीयत लिखी तो उसमें अपने दिवंगत बेटे नावेद के पुत्र शाहजेब के नाम अपनी अचल संपत्ति का एक हिस्सा कर दिया. इस संपत्ति की कीमत दो करोड़ रुपये बताई जा रही है.


साल 2021 में याकूब का इंतकाल हुआ तो वसीयत अमल में आई और 5 बीघा जमीन के साथ दो मंजिला मकान की संपत्ति शाहजेब के नाम पर हो गई. लेकिन शाहजेब का तो कहीं पता ही नहीं था. शाहजेब के रिश्तेदारों ने चारों तरफ उनकी तलाश शुरू की. किसी तरह से उन्हें पता चला कि बच्चा पिरान कलियर में भिखारी बनकर लोगों से भीख मांगता है. वे तुरंत सहारनपुर आए और उसे अपने साथ वापस लेकर गए.


शाहजेब के दादा शाह आलम ने बताया कि यह हमारे परिवार के लिए त्योहार से भी बढ़कर है कि शाहजेब हमारे साथ है.हम उसे खोजने की सारी उम्मीद खो चुके थे.हमने उसकी एक फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी थी, लेकिन उससे ज्यादा फायदा मिला नहीं.शाहजेब की घर वापसी पर शाह आलम ने बताया कि वह धीरे-धीरे हम सब में घुलमिल रहे हैं लेकिन इसमें अभी थोड़ा समय लगेगा.इतनी कम उम्र में उसने काफी दुनिया देख ली है. 


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