(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Saharanpur News: मदरसों के सर्वे पर बोले संचालक- जिनको है शक, वे आकर कर लें पढ़ाई
UP Madarsa Survey: मदरसा संचालकों का कहना है कि इससे हमें इत्तेफाक है. मदरसे मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त आवाम के चंदे से चलते हैं. मदरसे आज से नहीं बल्कि जमाने से चलते हुए आ रहे हैं.
UP Madarsa Survey: मदरसों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर यूपी सरकार (UP Government) पूरी तरीके से एक्टिव हो गई है. सरकार की तरफ से सभी जिला अधिकारियों को 5 अक्टूबर तक गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे करने के निर्देश दिए गए हैं. सर्वे टीम में एसडीएम, बीएसए और जिला अल्पसंख्यक अधिकारी शामिल होंगे. टीम को सर्वे कराकर रिपोर्ट एडीएम प्रशासन को सौंपने के निर्देश हैं. वहीं 25 अक्टूबर तक जिलाधिकारी शासन को गैर मान्यता प्राप्त मदरसों की रिपोर्ट भेजेंगे.
योगी सरकार द्वारा सर्वे कराए जाने पर सहारनपुर मदरसा संचालकों का कहना है कि इससे हमें इत्तेफाक है. मदरसे मान्यता प्राप्त हो या गैर मान्यता प्राप्त आवाम के चंदे से चलते हैं. मदरसे आज से नहीं बल्कि जमाने से चलते हुए आ रहे हैं. इन मदरसों से हमेशा मुल्क के लिए खिदमत की गई है. इन मदरसों से मुल्क की खिदमत करने वाले पैदा हुए हैं.
'मदरसे में होती है हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई'
संचालकों ने इस सर्वे के बारे में कहा कि हमारा मदरसा भले ही मान्यता प्राप्त नहीं है, लेकिन यहां पर दीनी तालीम के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई के भी इंतजाम है. वह भी हम पढ़ाते हैं और जो भी यहां खर्चे होते हैं वह भी आवाम के चंदे से ही पूरे होते हैं. उसी से ही सभी जरूरत पूरी होती है. इसके अलावा आमदनी का कोई जरिया नहीं होता है.
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जामा मस्जिद के इमाम बोले- मदरसों में नहीं सिखाई जाती गलत बात
जामा मस्जिद के इमाम अरशद गोरा ने सर्वे को लेकर कहा कि हमारे मदरसों के अंदर जो तालीम दी जाती है, वह कुरान और हदीस की दी जाती है, जो अल्लाह ने जिंदगी गुजारने का तरीका बताया है, वह बताई जाती है न कि कोई गलत बात सिखाई जाती है. उन्होंने कहा कि इंसानियत सिखाई जाती है, जिनको यह शक है कि मदरसों में कुछ और सिखाया जाता है, वह मदरसों में आकर पढ़ लें और देख लें कि क्या हो रहा है.
मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों ने ये कहा
उन्होंने कहा कि मदरसों की जो व्यवस्थाएं हैं, उसके लिए लोग चंदा देते हैं. साल में एक बार जकात निकालते हैं. मालदार जो होता है. उसे साल में एक बार जकात देनी होती है, फिर उन रुपयों को मदरसों को दिया जाता है और उससे शिक्षकों को तनख्वाह दी जाती है. इन्हीं पैसों से गरीब लड़कों को खाना वगैरह दिया जाता है. वहीं मदरसों में तालीम ले रहे बच्चों ने बताया कि उन्हें हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू सिखाई जाती है, बहुत अच्छे से पढ़ाया जाता है.