Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहारनपुर दौरे से पहले शनिवार को राज्य की कुछ समस्याओं को लेकर सवाल किए और दावा किया कि राज्य की डबल इंजन सरकार के पास अब बहुत कम ईंधन बचा हुआ है और चार जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद यह बंद हो जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को सहारनपुर में एक जनसभा को संबोधित करेंगे.


कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, आज प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का दौरा करेंगे, जहां डबल इंजन की सरकार ख़तरनाक रूप से कम ईंधन पर चल रही है. चार जून को इंजन के बंद होने से पहले, हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इन सवालों का जवाब देंगे कि मशीनरी आख़िर खराब क्यों हो रही है.


क्या बोले जयराम रमेश
जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि सहारनपुर अपने यहां होने वाली लकड़ी की नक्काशी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. यह लकड़ी के शहर के रूप में प्रसिद्ध है. यह उद्योग 200 वर्ष से अधिक पुराना है.


यह शहर की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 7 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है. लेकिन यह दुर्भाग्य है कि मोदी सरकार की ग़लत नीतियों ने लकड़ी-नक्काशी उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है.उन्होंने सवाल भी किया कि राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों ने इस सदियों पुराने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्या किया है?'


'गन्ने की एसएपी किसानों के लिए अपर्याप्त'
जयराम रमेश ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान उर्वरकों और कीटनाशकों की बढ़ती लागत का हवाला देते हुए गन्ने के निर्धारित मूल्य (एसएपी) में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन, भाजपा सरकार ने क़ीमत बढ़ाकर सिर्फ़ 360 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए अपर्याप्त है. महंगाई के हिसाब से देखें तो यह काफ़ी कम है. पंजाब के 386 रुपये/क्विंटल और हरियाणा के 391 रुपये/क्विंटल से भी बहुत कम है. उन्होंने प्रश्न किया कि क्या प्रधानमंत्री बता सकते हैं कि भाजपा सरकार किसानों को उनके काम का उचित प्रतिफल देने में इतनी अनिच्छुक क्यों रही है?


रमेश ने दावा किया कि बार-बार कार्रवाई करने के वादे के बावजूद, उत्तर प्रदेश सरकार बढ़ते आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करने में विफल रही है. उन्होंने इस पर भी सवाल किया कि सार्वजनिक विमर्श के मुद्दों को भटकाने के बजाय, क्या प्रधानमंत्री उन मुद्दों पर बात कर सकते हैं जो सही मायने में स्थानीय लोगों से संबंधित हैं? इस समस्या को हल करने के लिए उनके पास क्या नजरिया है?


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