Saharanpur News: अधिकारियों ने 3 महीने में किया आठ करोड़ का गबन, रोका गया वेतन, 14 पर लटकी कार्रवाई की तलवार
Saharanpur News: मुख्य विकास अधिकारी ने बताया, अभिलेख प्रस्तुत न करने तक उनका वेतन रोका गया है. अगर फिर भी उनके द्वारा अभिलेख नहीं दिए जाते हैं तो जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में पिछले साल हुए ग्राम प्रधानी के चुनाव से पहले सभी गांवों में प्रशासक नियुक्त किए गए थे. सहारनपुर (Saharanpur) के गंगोह ब्लॉक में नियुक्त किए गए प्रशासकों ने 3 महीने की अवधि में लगभग 8 करोड़ रुपए विकास के लिए निकाले, लेकिन विकास नहीं हुआ. शिकायत के बाद जांच के दौरान पाया गया कि सरकारी पैसे का गबन किया गया है. पाया गया कि एडीओ और ग्राम सचिवों ने मिलकर इस पैसे का गबन किया गया है. इसे लेकर सहारनपुर के कमिश्नर लोकेश एम ने एक टीम गठित की थी, जिसने पाया कि सरकारी पैसे का दुरुपयोग हुआ है.
रोका गया 14 अधिकारियों का वेतन
मामला सामने आने के बाद सभी को नोटिस दिया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. इस वजह से मंडलायुक्त के निर्देशन पर मुख्य विकास अधिकारी सहारनपुर ने सभी 14 अधिकारियों के वेतन रोकने के निर्देश दिए हैं. साथ ही अगर समय पर इनके द्वारा स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो यह माना जाएगा कि इस पैसे का इन्होंने बंदरबांट किया है और इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ पैसे की वसूली भी की जाएगी.
मुख्य विकास अधिकारी ने क्या बताया
मुख्य विकास अधिकारी विजय कुमार ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि, गंगोह ब्लॉक में जो प्रशासक का कार्यकाल था, उस अवधि में गंगोह ब्लॉक में तैनात सेक्रेटरी और एडीओ समेत ये लोग प्रशासक थे. उनके बारे में शिकायत प्राप्त हुई थी कि वहां पर पंचायत की धनराशि का दुरुपयोग किया था. इसी क्रम में मंडलायुक्त महोदय द्वारा मंडल स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसमें अपर आयुक्त प्रशासन उस समिति के अध्यक्ष थे और बाकि सदस्य थे. उस समिति के द्वारा इन सचिवों से प्रशासकों से अभिलेख मांगे गए थे. अभिलेख प्रस्तुत नहीं करने पर समिति ने यह माना कि धनराशि का दुरुपयोग किया गया है, इसलिए इन्होंने अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए.
जांच करके होगी आगे की कार्रवाई
मुख्य विकास अधिकारी ने आगे बताया कि, इस आधार पर जांच समिति ने ये आंख्या दी है कि आरोप सही हैं. इस क्रम में सचिव प्रशासक डीपीआरओ द्वारा उनको नोटिस जारी किए गए थे. नोटिस का उनके द्वारा कोई उत्तर नहीं दिया गया. इसके आधार पर उनका वेतन रोका गया है. अभिलेख प्रस्तुत न करने तक उनका वेतन रोकते हुए डीपीआरओ को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. अगर फिर भी उनके द्वारा अभिलेख नहीं दिए जाते हैं तो एक जांच करके आगे की कार्रवाई की जाएगी.