(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Saharanpur: मुफ्ती असद कासमी बोले- 'मुसलमानों को नहीं लेना चाहिए ब्याज का पैसा, बीमा भी जायज नहीं'
UP News: मुफ्ती असद कासमी ने कहा, इस्लाम शरीयत, कुरान व हदीस कहते हैं कि जो पैसा हमने बैंक के अंदर जमा किया है, हम सिर्फ उसी के मालिक हैं. ब्याज का पैसा हराम का पैसा होता है.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर (Saharanpur) में मदरसा जामिया हुसैन अहमद मदनी के मोहतमिम मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मुसलमान बैंक के अंदर सेविंग अकाउंट खुलवाते हैं. खाते में जमा रुपयों पर बैंक की ओर से जो ब्याज (Bank Interest) दिया जाता है उसे नहीं लेना चाहिए, अगर लेते भी हैं तो उसे जरूरतमंदों पर खर्च करना चाहिए. बैंक से मिलने वाला ब्याज हराम है. उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म में ब्याज जायज नहीं है. मुसलमानों को ब्याज लेने की सख्त मनाही है.
मुफ्ती असद कासमी ने कहा बैंक से जो ब्याज मिलता है, मुसलमानों को इसे लेना सही है या नहीं है, इस सिलसिले में इस्लाम शरीयत, कुरान व हदीस कहते हैं कि जो पैसा हमने बैंक के अंदर जमा किया है, हम सिर्फ उसी के मालिक हैं. हम सिर्फ उसी को ले सकते हैं. ब्याज का पैसा हराम का पैसा होता है. हराम के पैसे के ऊपर सवाब की नीयत करना या उम्मीद करना गलत है. मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि उस पैसे को जरूरतमंद पर खर्च करना चाहिए. इसमें सवाब (पुण्य ) की नीयत नहीं होती.
बीमा कराना जायज नहीं-कासमी
मुफ्ती असद कासमी ने बताया कि, कोई अपनी जान का बीमा करा लेता है, सोचता है कि अगर मैं मर गया तो मेरे मरने के बाद परिवार वालों को इतना पैसा मिलेगा. इस तरीके का बीमा कराना जायज नहीं है. इसको बिल्कुल नहीं कराना चाहिए. यह जान अल्लाह की अमानत है. बीमा कराने के बाद अपनी जान को बेच देना है. जान का अल्लाह मालिक है और उसे हम बेच देते हैं. यह बिल्कुल सही नहीं है. इसलिए बीमा बिल्कुल नहीं कराना चाहिए. अपनी जान का या किसी और चीज का बीमा नहीं कराना चाहिए.
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