सपा अध्यक्ष अखिलेश (Akhilesh Yadav) के गांव सैफई में भी सीएम योगी (CM Yogi Adityanath) का बुलडोजर चलेगा. प्रदेश भर में अवैध अतिक्रमण पर गरजने वाले बुलडोजर ने अब समाजवादियों के गढ़ सैफई की और रुख कर लिया है. इसे लेकर इटावा के प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग ने सैफई-इटावा रोड (Saifai Etawah road) पर बने मकानों, दुकानों पर लाल निशान लगाकर अगले कुछ दिनों में बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण (illegal encroachment) को गिराने की तैयारी कर ली है. वहीं जिस तरह से सैफई में मुख्य सड़क के दोनों ओर लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों द्वारा मकानों और दुकानों पर जो लाल रंग के निशान लगाए गए हैं उसको लेकर सैफईवासियों के मन में जिज्ञासा बनी हुई है कि आने वाले कुछ दिनों में सरकार द्वारा अखिलेश यादव के पैतृक गांव में क्या कार्रवाई की जायेगी. 


अधिकारियों का क्या कहना है
वहीं इस बारे में पीडब्लूडी के अधिकारियों की मानें तो सैफई-इटावा की मुख्य सड़क पर अतिक्रमण अभियान चलाकर सड़क को चौड़ा कर नई सड़क बनाने का कोई प्लान नहीं है और न ही सरकार की तरफ से सड़क बनाने का विभाग को कोई बजट भेजा गया है. सरकार की तरफ से जो आदेश आया है उसके अनुसार हमारा विभाग केवल अपनी जगह को खाली करायेगा. प्रांतीय खंड लोकनिर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने कहा, सरकार के आदेश के बाद सैफई में बुलडोजर चलना तय है लेकिन हम नहीं चाहते कि जनता का अधिक नुकसान हो इसलिए अतिक्रमण को लेकर चिन्हीकरण किया गया है. उसको एक बार और क्रॉस एग्जामिन कराया जाएगा जिससे आम जनता का नुकसान कम से कम हो लेकिन 8-10 दिन में बुलडोजर चलना तय है.


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अतिक्रमण को चिन्हित किया गया
सैफई में पीडब्लूडी  द्वारा सैफई के दुमीला बॉर्डर से इटावा शहर क्षेत्र के आईटीआई तक सड़क के दोनों ओर लोकनिर्माण विभाग अपनी जगह में आने वाले अतिक्रमण को चिन्हित कर रहा है. पीडब्ल्यूडी प्रांतीय खंड की तीन टीमें इस काम में लगी हुईं थीं. हालांकि शुक्रवार को राजनीतिक दबाव बढ़ने और इसको लेकर लोगों के आक्रोश को देखते हुए बीच में ही सर्वे का काम बंद कर दिया गया. टीम द्वारा सैफई के हेंवरा तक लाल निशान से चिन्हांकन कर लिया गया है. मीडिया के पहुंचने पर आनन-फानन में सर्वे का काम रोकना पड़ा और टीम वापस लौट गई. सूत्रों की मानें तो अब सोमवार से एकबार फिर से आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.


एक सप्ताह में गिराया जा सकता है
वहीं विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं जबकि सूत्रों का कहना है कि 1 सप्ताह में शासन द्वारा अवैध अतिक्रमण को गिराने के आदेश दिए गए हैं. फिलहाल विभाग ने यथास्थिति को देखते हुए कुल 58 आवासीय संपत्तियों के अलावा 106 संपत्तियों को चिन्हित किया है जो अतिक्रमण की जद में हैं और इनमें बकायदा 5 मीटर से लेकर 2 मीटर तक निशान लगाए गए हैं. 


इन नेताओं का आवास भी जद में
इस अतिक्रमण की जद में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के आवास की एक दीवार समेत पूर्व सांसद मैनपुरी तेज प्रताप यादव का एक प्लॉट और उनके करीबियों के बाजार और दुकानें भी शामिल हैं. इसके अलावा सैफई क्षेत्र में डिग्री कॉलेज समेत जिला पंचायत का इंटर कॉलेज के अलावा सैफई थाने की दीवार और कई अन्य सरकारी भवन भी इसकी जद में आ रहे हैं. लिहाजा बड़े नुकसान को देखते हुए पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों पर भी दबाव बढ़ रहा है. हालांकि शासन की मंशा को पूरा करने के लिए अधिकारी जी जान से जुटे हुए हैं.


PWD अभियंता ने क्या बताया
लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशाषी अभियंता संजय कुमार गौतम का कहना है कि, फिलहाल पीडब्ल्यूडी द्वारा अपनी जमीन का चिन्हांकन कराया जा रहा है. इस चिन्हांकन में जो भी अतिक्रमण आ रहा है उसपर निशान लगाए जा रहे हैं. हालांकि जिस तरह सर्वे में अतिक्रमण की जद में आवासीय और व्यवसायिक प्रतिष्ठान आए हैं उसको देखते हुए विभाग अन्य विभागों से राय लेकर क्रॉस एग्जामिन कराएगा जिससे कम से कम लोगों का नुकसान हो. हालांकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि जो भी अतिक्रमण है उसे तत्काल समाप्त किया जाए. ऐसे में सर्वे रिपोर्ट को राजस्व विभाग के पास भेजा जाएगा जिसके बाद बुलडोजर चलाकर अवैध अतिक्रमण को गिराया जाएगा. बुलडोजर चलेगा जरूर, फिर भी हम चाहते हैं कि जनता का कम से कम नुकसान हो.


निवासियों का इसपर क्या कहना है
वहीं इस बारे में सैफई निवासी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि जो सरकार करेगी होगा. पीडब्लूडी के लोग निशान लगा गए हैं. अधिकारी कह रहे हैं कि हमारी जगह है हम इसको लेंगे. वहीं एक अन्य सैफई निवासी रविंद्र यादव का कहना था कि जब पूरे प्रदेश में बुलडोजर चल रहा है तो अखिलेश का सैफई कैसे छूट जाता. यहां तो बुलडोजर चलना ही था. सैफई की मुख्य सड़क पर बने सभी मकानों में पीडब्ल्यूडी के अधिकारी निशान लगाकर गए हैं. नुकसान होना तय है और मुआवजा भी नहीं मिल सकेगा क्योंकि हम गांव वालों के पास मकानों का नक्शा भी नहीं है. पहले बिना नक्शे के मकान बन जाते थे.


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