हरिद्वार. उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में कुंभ मेला होगा या नहीं इसको लेकर असमंसज की स्थिति बनी हुई है. कुंभ की तारीखों को लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया है. उधर, सरकार की ओर से जारी एसओपी में धार्मिक आयोजनों पर रोक लगने के बाद संत समाज नाराज हो गया है. संतों का आरोप है कि जब धार्मिक आयोजनों के लिए टेंट-पंडाल ही नहीं लगेंगे तो कुंभ का कोई औचित्य नहीं रहेगा.


सरकार के फैसले के बाद अब ना तो संतों के टेंट लगेंगे और ना ही पंडाल. साथ ही अब यज्ञ भी नहीं होंगे. भजन कीर्तन तक नही होंगे. हालांकि यह सब कोरोना की रोकथाम के लिए है, लेकिन संतों का कहना है कि जब राजनीतिक आयोजनों में कोरोना नही फैल रहा तो कुंभ को कोरोना के बहाने क्यो खत्म किया जा रहा है. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने सरकार और प्रशासन पर आरोप लगाया कि मेला प्रशासन खुद ही प्रस्ताव बना रहा है, जबकि कुंभ मेले से संबंधित हर बात पर साधु-संतों और अखाड़ों से बात की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब कुंभ में धार्मिक आयोजन नहीं होंगे, टेंट नही लगेंगे, यज्ञ नही होंगे, भजन नही होंगे तो फिर कुंभ कैसे हो सकता है.


क्या बोले मेला अधिकारी
वहीं मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी में साफ कहा गया है कि किसी भी तरह के बड़े धार्मिक आयोजन नहीं किए जाने चाहिए. इसीलिए यह कोशिश की जा रही है कि इस बार कुंभ में बड़े धार्मिक आयोजन ना किये जाए. दीपक रावत ने कहा कि जहां तक संतों के लिए टैंटों का सवाल है, उसके लिए हरिद्वार में काफी धर्मशाला और आश्रम हैं जहां पर संतों के रहने की व्यवस्था की जा सकती है.


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