हरिद्वार: कुंभ मेले के दौरान साधु-संतों, अखाड़ों और मठ मंदिरों को भूमि मिलना फिलहाल संभव नहीं है. आपको बता दें कि, कुंभ के दौरान हरिद्वार आने वाले सभी साधु-संतों, अखाड़ों और मठ मंदिरों को मेला प्रशासन द्वारा टैंटों, छावनी और पंडालों के लिए भूमि आवंटित की जाती है, जो अभी तक नहीं की गई है. केंद्र सरकार की गाइड लाइन से पहले यह आवंटन जनवरी के अंत तक होना था, लेकिन फिलहाल इसे आगे बढ़ा दिया गया है. और ऐसा भी माना जा रहा है कि अब साधु-संतों के लिए भूमि आवंटन नहीं होगी. इसके लिए राज्य सरकार अंतिम निर्णय लेगी.
राज्य सरकार से किया आग्रह
मेला प्रशासन ने राज्य सरकार से आग्रह भी किया है कि उन्हें भूमि आवंटन के लिए निर्देशित किया जाए, लेकिन फिलहाल अभी ऐसी कोई संभावना नजर नहीं आ रही. जिसको लेकर साधु-संतों में भी काफी आक्रोश नजर आ रहा है. हरिद्वार में कुंभ मेले के लिए 650 हेक्टेयर भूमि टेंटो छावनी और पंडालों के लिए आरक्षित की गई है, जिसमें 380 हेक्टेयर भूमि संत समाज के लिए है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई निर्देश ना आने की वजह से अभी तक यह भूमि इनको आवंटित नहीं की गई है. हालांकि अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह का कहना है कि इसके लिए सभी तैयारी हो गई है और इस पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार ही लेगी. वहीं, साधु समाज इससे आक्रोशित है.
साधु-संतों में नाराजगी
भारतीय साधु समाज के सेक्रेटरी ऋषिश्वरानंद ने इस पर आपत्ति जताई है. उनका साफ कहना है कि आश्रमों के पास इतनी जगह नहीं है जिसमें सभी श्रद्धालु और भक्त गण रुक सकें, इसलिए सरकार को टैंटों की व्यवस्था करनी चाहिए, नहीं तो उसके खिलाफ आंदोलन भी किया जा सकता है.
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