हरिद्वार: सरकार द्वारा कुंभ की अवधि को सीमित करने के बाद कुंभ नगरी में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. एक तरफ व्यवसाय से जुड़े लोग कुंभ की अवधि को एक महीने की करने का विरोध कर रहे हैं, तो साधु-संत कुंभ को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं. खुद अखाड़ा परिषद में इसको लेकर अलग-अलग राय है.


साधु-संत, व्यापारी नाराज


धर्मनगरी हरिद्वार में भव्य और दिव्य कुंभ का नारा फीका होता नजर आ रहा है, क्योंकि सरकार ने कुंभ की अवधि को सिर्फ एक महीने कर दिया है. ऐसे में संतों और तमाम व्यापारियों में नाराजगी है, कि जब कुंभ ही एक महीने का होगा तो फिर इसे भव्य और दिव्य स्वरूप कैसे दिया जाएगा? व्यापारी अपने व्यापार को लेकर संकट में हैं, तो साधु-संत भी कुंभ के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिति में है. व्यापारियों का कहना है कि, सरकार कुंभ कराना नहीं चाहती. यही वजह है कि पहले एसओपी में कड़े नियम रखे गए और अब कुंभ की अवधि को घटाकर सिर्फ एक महीने का कर दिया गया है. इससे हरिद्वार के व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ेगा, हालांकि, व्यापारी भी कुंभ के आयोजन को लेकर अपनी नजरें अखाड़ा परिषद पर ही टिकाए बैठे हैं, क्योंकि इनका मानना है कि अखाड़ा परिषद सरकार से बात कर कुंभ के आयोजन को भव्य और दिव्य रूप दे सकता है.


25 फरवरी को बड़ी बैठक


कोरोना के साए में हो रहे महाकुंभ को सुरक्षित रखने की पूरी कोशिश की जा रही है, लेकिन सरकार इसे दिव्य और भव्य बनाने की बात भी कह रही है. लेकिन ऐसे में जब कुंभ ही मात्र एक महीने का होगा तो फिर इसे भव्य रूप कैसे दिया सकता है. यही कहना साधु संतों का हैं. हालांकि सरकार के इस फैसले से अखाड़ा परिषद में भी तालमेल की स्थिति नहीं बन रही है, और इस मामले में 25 फरवरी को बड़ी बैठक कराने की बात कही जा रही है, लेकिन कुंभ के आयोजन को लेकर संतों में नाराजगी दिखने लगी है.


एक महीने का कुंभ


कोरोना की वजह से हरिद्वार में महाकुंभ को लेकर असमंजस की स्थिति लंबे समय से बनी हुई थी, लेकिन मुख्य सचिव ओमप्रकाश के बयान के बाद अब यह माना जा रहा है कि कुंभ सिर्फ एक ही महीने का होगा. ऐसे में हरिद्वार के व्यापारियों के साथ-साथ तमाम साधु-संतों में भी नाराजगी है कि सरकार कुंभ को दिव्य और भव्य रूप में कराना ही नहीं चाहती.


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