अयोध्या: अयोध्या में राम जन्मभूमि फैसले की सोमवार को पहल वर्षगांठ है. इस मौके को संत समाज महापर्व के रूप में मनाने की अपील कर रहा है. संत समाज के लोगों ने अपने अनुयायियों से अपील की है कि लोग अपने घरों में नौ नवंबर को अपने घरों में धार्मिक अनुष्ठान करें और दीपक जलाएं. रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिस तरह से अब राम नवमी का पर्व मनाते हैं उसी तर्ज पर 9 नवंबर को हमें मनाना चाहिए.
राम नवमी के पर्व की तरह मनाएं
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि 500 वर्षों बाद मौका मिला है. कोर्ट के द्वारा 9 नवंबर को रामलला के पक्ष में फैसला दिया गया. 28 वर्षों तक रामलला त्रिपाल में रहे और 25 मार्च को उनको अस्थाई मंदिर में पहुंचाया गया. जिस तरह से अब राम नवमी का पर्व मनाते हैं. उसी तर्ज पर 9 नवंबर को हमें मनाना चाहिए. सत्येंद्र दास 9 अंक को बहुत ही शुभ मानते हैं. उनका कहना है कि 9 नवंबर को राम जन्म भूमि के पक्ष में फैसला आया और नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था. 9 नवंबर बेहद महत्वपूर्ण दिन है और इसे पर्व के रूप में मनाया जाना चाहिए. भगवान राम को भव्य मंदिर में स्थापित करने की आशा को पूरा करने की तिथि है. 9 नवंबर अयोध्या दौरे पर आए अधिकारियों ने निर्देशित किया है कि रामलला के परिसर में सभी पर्व को भव्य स्तर से मनाया जाए. 9 नवंबर को भव्य ढंग से मनाया जाएगा जिस तरह से भगवान राम का जन्म उत्सव मनाया जाता है.
9 नवंबर खुशियों का दिन
सरयू जी की नित्य आरती कराने वाले महंत शशि कांत दास ने कहा कि 9 नवंबर सभी के लिए खुशियों भरा दिन है. भगवान राम रावण का वध करने के बाद 14 साल का वनवास खत्म करके दीपावली के मौके पर अयोध्या पहुंचे थे. उसी तरह 9 नवंबर का दिन भी हम लोगों के लिए है. शशिकांत दास ने लोगों से अपील की है कि लोग अपने अपने घरों में दीपक जलाएं, धार्मिक अनुष्ठान करें. 9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर फैसला आया था और रामलला के भव्य मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ था. यह सभी सनातन धर्म के मानने वाले लोगों के लिए गौरव का दिन है राम जन्मोत्सव की तर्ज पर 9 नवंबर के इस दिन को मनाया जाए.
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