UP News: गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा पर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं. दोनों तरफ से जारी बयानबाजी के बीच अब साधु-संत भी कूद गए हैं. वाराणसी के संतों ने कांग्रेस नेतृत्व को बौद्धिक रूप से दिवालिया बताया है. उन्होंने  भगवान से कांग्रेस नेताओं की आत्मा को शांति प्रदान करने की अपील की. उनका कहना है कि कांग्रेस की जड़ें भारत से कट चुकी है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कांग्रेस महासचिव जयराम नरेश के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई.


गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार की घोषणा पर विवाद


जयराम नरेश ने गीता प्रेस की तुलना गोडसे और सावरकर से करते हुए कहा था कि, “गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया जाना, गोडसे और सावरकर को पुरस्कार दिए जाने जैसा है. उन्होंने कांग्रेस महासचिव के बयान की निंदा की. स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मौलाना मदनी को जीवनभर राज्यसभा भेजा. धर्म उपदेशक जाकिर नाइक को देश में पालकर रखा. उस समय साधु-संतों ने कांग्रेस के खिलाफ आवाज नहीं उठाई. लेकिन गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने से कांग्रेस को दिक्कत हो रही है.


फैसले के समर्थन में साधु-संतों ने कांग्रेस पर बोला हमला


ऐसा लग रहा है जैसे कांग्रेस पूरी तरह बौद्धिक रूप से दिवालिया हो चुकी है. सम्मान की घोषणा पर जारी घमासान के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया. उन्होंने भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को आसानी से सुलभ कराने में गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान माना है. अमित शाह ने आगे कहा कि गीता प्रेस कई धार्मिक ग्रंथों को सेवा समझ कर जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत काम कर रही है. गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार 2021 मिलना भागीरथ कामों का सम्मान है." गीता प्रेस को पुरस्कार अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जायेगा. 


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