(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Martyr From shahjahanpur: पुंछ में शहीद हुए साजर सिंह के नाम पर शाहजहांपुर में बनेगी सड़क, पत्नी को मिलेगी नौकरी
Sajar Singh Martyr: शाहजहांपुर के साजर सिंह पुंछ में आतंकियों के साथ संघर्ष में शहीद हो गये. वही उनका परिवार इस शहादत पर गर्व कर रहा है तो खोने का दर्द भी है.
Sajar Singh Martyr in Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए साजर सिंह के नाम पर रोड बनेगा. साथ ही 50 लाख सहायता राशि के साथ पत्नी को नौकरी दी जाएगी. बीते दिवस जम्मू कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए जवानों के सम्मान में सरकार द्वारा शहीद जवानों के नाम जिले में एक रोड़ व 50 लाख रुपए आर्थिक सहायता राशि सहित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की गई है. यह जानकारी शाहजहांपुर जिले के बंडा अख्तियारपुर धौकल के शहीद सारज सिंह के आवास पर शहीद के परिवार को सांत्वना देने पहुंचे जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने दी. उन्होंने बताया कि, शहीद जवान का पार्थिव शरीर 13 अक्टूबर की देर रात तक आने की संभावना है. 14 अक्टूबर की सुबह शहीद के निवास स्थान के समीप ही पार्थिव शरीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. जिसकी समस्त तैयारियों के लिए सरकारी अमले को लगाया गया है, शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
अपनों के खोने का दर्द
देश के लिए जान कुर्बान कर देना गर्व की बात होती है. शहादत बड़ा सम्मान है लेकिन अपनों के दिल में हमेशा के लिए एक दर्द रह जाता है. इसी दर्द को साजर सिंह के परिवार वालों की आंखों में महसूस किया जा सकता है. पुंछ में शहीद हुए साजर सिंह अपनी मां परमजीत के बहुत करीब थे. हर रोज फोन पर बात होती थी अब उनके परिवार के मन में एक ही सवाल है, अब फोन पर कौन पूछेगा की दवाई खाई या नहीं खाई..... साजर सिंह की मां अपने दर्द को छिपाते हुए अपने बेटे की शहादत पर गर्व कर रही है लेकिन सरकार से उनका ये भी कहना है कि इनकी शहादत का बदला भी लेना है.
तीनों बेटे सेना में
शहीद के पिता विचित्र सिंह का ये बताते बताते गला रुंध आता है कि, पहले से दो बेटे सेना में थे तो हम लोग नहीं चाहते थे कि वो सेना में भर्ती हो लेकिन उसे यूनिफार्म पहननी थी. विचित्र सिंह के तीनों बेटे सेना में है और उनकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में है. दो बेटे कुपवाड़ा में और छोटा साजर सिंह पुंछ में था. साजर सिंह के भाई और सैनिक सुखवीर सिंह बताते हैं कि वो घर में सबसे छोटा था तो चिंता लगी रहती थी. मैं समझाता भी था कि थोड़ा धैर्य से काम लेना है लेकिन पता ही नहीं था कि ये दिन देखना पड़ेगा. सुखवीर कहते हैं मेरे मन में दोहरा गुस्सा है, एक तो देश के दुश्मनों ने हमारे सैनिकों को हमसे छीन लिया दूसरा हमारा भाई हमसे बिछड़ गया.
ये भी पढ़ें.
Lakhimpur Kheri: प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस नेताओं को किसानों ने मंच पर आने नहीं दिया