UP News: घर बनवाने वालों को अगले पांच दिन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. ईंट भट्ठा मालिकों ने 12 से 17 सितंबर तक ईंटों की बिक्री बंद करने का फैसला किया है. यह निर्णय आल इंडिया ब्रिक एंड टाइल मैन्युफैक्चर्स फेडरेशन, नई दिल्ली के आह्वान पर लिया गया. जिसके बाद अगले 5 दिन ईंट भट्ठा मालिक हड़ताल पर रहेंगे.


संगठन ने खुले बाजार में कोयले में सरकारी कीमत के सापेक्ष तीन गुना तक जारी ब्लैक मार्केटिंग पर अंकुश लगाने, ईंटों पर जीएसटी दर में 240 से 600 प्रतिशत की वृद्धि वापस लेने और ईंट मिट्टी निकासी के लिए मशीनों के प्रयोग की सुलभ नीति बनाने सहित कई मांगे रखी हैं.


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बढ़ी हुई GST दरें हों वापस करने की मांग


लखनऊ ब्रिक किल्न एसोसिएशन के महामंत्री मुकेश मोदी ने बताया कि ईंटों पर जीएसटी दर में 240 से 600 प्रतिशत की वृद्धि वापस ली जानी चाहिए. वहीं भट्ठों को उचित दर पर कोयला मिले और खुले बाजार में कोयले में सरकारी कीमत के सापेक्ष तीन गुना तक जारी ब्लैक मार्केटिंग पर अंकुश लगाई जाए. सरकारी कोटे के कोयले का आयात बिल्कुल बंद है. जिसकी वजह से ईंटों की उत्पादन लागत में भारी वृद्धि हो गई है, जबकि ईंटों की कीमतों में भारी गिरावट आई है.


सरकार का मनमाना व्यवहार


उन्होंने कहा कि ईंट भट्ठा उद्योग के साथ मनमाना व्यवहार किया जा रहा है. भट्ठों को नेचुरल ड्राफ्ट में बदलने के लिए कम से कम चार साल का समय दिया जाना चाहिए. हमारी ये मांगे हैं. जबतक इसपर सुनवाई नहीं होती ये आंदोलन जारी रहेगा.


वहीं एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि जो कोयला पिछले सीजन में 7000 से 9000 रुपये प्रति टन में मिलता था, वर्तमान उसी कोयले को भट्ठे वाले 18000 रुपये प्रति टन से लेकर 27000 रुपये प्रति टन में खरीदने को मजबूर हैं. भट्ठा मालिकों का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है.


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