मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में 5 दिसंबर को यूपी सरकार के नये धर्मांतरण कानून के तहत जेल भेजे गये दोनों भाइयों राशिद और सलीम को आज कोर्ट के आदेश पर जेल से रिहा कर दिया गया. राशिद की पत्नी पिंकी के बयान के बाद कोर्ट ने पिंकी को बालिग मानते हुए उसे उसकी मर्ज़ी के मुताबिक कहीं भी रहने की इजाज़त दी थी, जिसके बाद पिंकी ससुराल में रह रही है और अब पुलिस ने राशिद और उसके भाई के खिलाफ़ कोई साक्ष्य न मिलने की जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की, जिस पर मुरादाबाद की सीजेएम कोर्ट ने राशिद और उसके भाई को 50 -50 हजार के निजी मुचलकों पर जेल से रिहा करने के आदेश दिए. आज मुरादाबाद जेल से रिहा होने के बाद राशिद और सलीम ख़ुश दिखाई दिए और उन्होंने न्यायपालिका का शुक्रिया अदा किया. राशिद और उसके भाई की रिहाई से सवाल खड़े हो गये हैं कि, क्या यूपी सरकार के नये विधि विरुद्ध धर्मांतरण कानून का पुलिस दुरूपयोग कर रही है?


अपनी मर्जी से पिंकी ने की शादी


मुरादाबाद के रहने वाले राशिद और बिजनौर की रहने वाली पिंकी ने पांच महीने पहले उत्तराखंड के देहरादून में लव मैरिज कर ली थी. पिंकी के गर्भवती होने पर पिंकी राशिद के साथ उसके घर मुरादाबाद के कांठ आ गयी थी. दोनों हंसी ख़ुशी रह रहे थे, लेकिन यूपी में नया धर्मांतरण कानून आने के बाद किसी ने दोनों को सलाह दी की अपनी शादी का मुंसिफ कोर्ट में रजिस्ट्रेशन करा लो ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो. 5 दिसंबर को पिंकी अपनी सास नसीम जहां के साथ कांठ में मुंसिफ मजिस्ट्रेट की अदालत गयी थी कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उसे रास्ते में पकड़ लिया और दोनों को धमकाते हुए कांठ थाने ले आये, जहां पिंकी ने अपने पेपर दिखाते हुए पुलिस और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और नेताओं को बहुत समझाने की कोशिश की, कि वह बालिग है, 22 साल की उम्र है और उसने अपनी मर्ज़ी से राशिद से शादी की है. लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी और रात होते होते पिंकी की मां को बिजनौर से बुला कर उनकी शिकायत पर राशिद और उसके भाई के खिलाफ़ कांठ थाने में ज़बरन पिंकी का धर्मांतरण कराने और शादी करने के आरोप में मुकादम दर्ज कर लिया गया और राशिद और उसके भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया और पिंकी को नारी निकेतन भेज दिया गया था.


अस्पताल में कराया गया गर्भपात


पिंकी के मुताबिक नारी निकेतन में उसकी तबियत बिगड़ी तो उसे समय से दवाई नहीं दिलाई गयी और अधिक पेट में दर्द होने पर उसे बाद में मुरादाबाद के जिला महिला अस्पताल में उपचार के लिए ले जाया गया, जहां डॉक्टरों के इंजेक्शन और दवाई से उसका गर्भपात हो गया. वह तीन महीने की गर्भवती थी, पिंकी को कोर्ट के आदेश पर 13 दिसंबर को नारी निकेतन से छोड़ दिया गया और वह अपनी ससुराल पहुंच गयी. जिसके बाद पिंकी ने अपने पति और जेठ की भी जल्द रिहाई की मांग की थी. गर्भवती पिंकी की हालत बिगड़ने पर उसे देखने के लिए जिला महिला अस्पताल यूपी बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता भी पहुंचे थे और उन्होंने भ्रूण के सुरक्षित होने की बात कही थी. वहीं डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें नहीं मालूम है कि पिंकी का गर्भ सुरक्षित है या नहीं. पिंकी द्वारा लगाये गये आरोपों को जिला अस्पताल की डॉक्टरो ने नकार दिया, लेकिन पिंकी गर्भपात से काफी सदमे में है. पिंकी अपने पति राशिद की रिहाई की मांग करते हुए सपा सांसद डॉ एस टी हसन से भी मिली थी, जिसके बाद डॉ एस टी हसन ने उन्हें एसएसपी मुरादाबाद से मिलकर अपनी बात रखने को कहा था और वकील के ज़रिये अपना केस अदालत में लड़ने की सलाह दी.


क्या कानून का दुरुपयोग हो रहा है?


कोर्ट में पिंकी के बयान होने के बाद मुरादाबाद पुलिस ने जेल में बंद पिंकी के पति राशिद और उसके भाई सलीम के विरुद्ध कोई सबूत न मिलने पर कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद मुरादाबाद के सीजेएम कोर्ट ने पिंकी के पति राशिद और उसके भाई को पचास-पचास हजार के निजी मुचलकों पर रिहा करने का आदेश दे दिया. राशिद और उसका भाई सलीम अब जेल से रिहा हो चुके हैं, लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस ने जल्दबाज़ी में बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के दबाव में क्यों नये धर्मांतरण कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया और बजरंग दल वालों को किसने दो वयस्कों की ज़िन्दगी में दखल देने की छूट दी ? क्या यूपी में नये धर्मांतरण कानून का पुलिस दुरूपयोग कर रही है ?


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