UP News: लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी गठबंधन में टूट की अटकलें तेज हो गई हैं. सूत्रों का दावा है कि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी इस गठबंधन से अलग होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो सकते हैं. हालांकि 1992 में सपा के गठन के बाद से ही अलग-अलग पार्टियों के साथ उसके गठबंधन होते रहे हैं. लेकिन वो गठबंधन लंबे समय तक नहीं चले.


31 साल में सपा की राजनीति में किसी भी दल से गठबंधन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका है. सपा ने सबसे पहले 1993 में बसपा के साथ गठबंधन किया था. तब मुलायम सिंह यादव और कांशीराम एक साथ आए थे. उस समय भी ये दोनों दल बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए एक साथ आए थे. दोनों ही दलों ने साथ मिलकर सरकार बनाई और लेकिन आपसी खटपट के कारण दो जून 1995 को बसपा ने गठबंधन से किनारा कर लिया. 


इसके बाद 2003 में बीजेपी और बसपा का गठबंधन टूटा, तब अगस्त 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने और बहुमत का दावा पेश किया. उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसके बाद बहुमत पेश करने का वक्त आया तो सपा की संख्या कम पड़ी. लेकिन बीजेपी ने उन्हें समर्थन दिया था. हालांकि ये गठबंधन भी लंबे वक्त तक नहीं चला था. 


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मोदी लहर में टूटा गठबंधन
2014 में जब मोदी लहर चली तो लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में बड़ी जीत दर्ज की. इसके बाद विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा ने चुनाव लड़ा. इस चुनाव में सपा ने कांग्रेस से गठबंधन किया. हालांकि इस गठबंधन में सपा की अब तक की सबसे बड़ी हार हुई. सपा ने 2012 में 224 सीटें जीती थीं लेकिन इस बार केवल 47 सीट मिली थी. 


जबकि दूसरी ओर कांग्रेस ने 2012 में 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि 2017 में पार्टी को यूपी में केवल सात सीटों पर जीत मिली. हालांकि ये गठबंधन भी टूट गया. जिसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सपा और बसपा दूसरी बार एक साथ आए. दोनों ही दलों ने मिलकर फिर से बीजेपी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में मोर्चा बनाया.


हालांकि इस चुनाव में भी सपा और बसपा गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. तब बसपा को 10 और सपा को पांच सीटों पर जीत मिली थी. कुछ ही दिनों के बाद ये गठबंधन भी टूट गया. इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने नया गठबंधन बनाया. प्रसपा, सुभासपा, रालोद और महान दल का सपा के साथ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गठबंधन हुआ. 


इस गठबंधन का कुछ फायदा सपा को मिला लेकिन फिर भी चुनाव में पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा. सपा गठबंधन को केवल 125 सीटों पर जीत मिली, जिसमें सपा केवल 111 सीटें जीत सकें. बीजेपी गठबंधन ने 273 सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि चुनाव में हार के बाद गठबंधन में खटपट बढ़ी और फिर कई दल सपा गठबंधन से अलग हो गए.