Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में बीजेपी (BJP) के साथ ही समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बीएसपी (BSP) ने तैयारियों को तेज कर दिया है. हर पार्टी अपनी रणनीति के हिसाब ले काम कर रही है. लेकिन सबसे खास बात ये है कि हर पार्टी को उसके कोर वोटर्स के टूटने का डर सता रहा है. इसकी झलक पार्टियों के रणनीति में साफ तौर पर नजर आ रही है. 


दरअसल, बीजेपी 2024 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए पसमांदा मुसलमानों को अपने पक्ष में करने का पूरा प्रयास कर ही है. पहले ये वोट खास तौर पर बीएसपी और सपा के पास जाते रहा है. लेकिन बीजेपी अपनी सरकार के योजनाओं का हवाला देकर उन्हें रिझाने का प्रयास कर रही है. इसके अलावा बीजेपी सूफी संवाद महाअभियान भी शुरू कर चुकी है. इसके जरिए भी पार्टी मुस्लिम वोटरों को साधने की कोशिश कर रही है. 


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किसकी क्या है रणनीति?
बीजेपी ये कार्यक्रम खास तौर पर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, रामपुर और आजमगढ़ जिलों में किए जा रहे हैं. अगर बीजेपी की ये रणनीति चली तो सपा और बीएसपी के लिए अपने कोर वोटर्स ही चुनौती बन जाएंगे. दूसरी ओर सपा ने आगामी चुनाव के लिए ओबीसी और दलित वोटर्स पर अपना फोकस किया है. इसकी झलक रामचरितमानस विवाद के दौरान अखिलेश यादव और स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों में दिखी. 


इतनी ही नहीं सपा ने राष्ट्रीय अधिवेशन में दलित वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए प्लान तैयार किया है. अवधेश प्रसाद और रामजीलाल सुमन दलित वोटर्स को साधने की जिम्मेदारी दी गई है. बीते कुछ चुनावों पर गौर करें तो ओबीसी वोटर्स बीजेपी के ओर रहे हैं, जबकि दलित वोटर्स बीएसपी के पाले में जाते रहे हैं. ऐसे में अगर सपा की ये रणनीति चली तो बीजेपी और बीएसपी के लिए उनके कोर वोटर्स ही चुनौती बन जाएंगे.


अब बात मायावती की रणनीति और बीएसपी के प्लान पर की जाए. बीते दिनों बीएसपी ने खास तौर पर युवाओं को साधने के साथ ही पार्टी सोशल मीडिया पर एक्टिव होते नजर आ रही है. पार्टी ने हर स्तर पर बीएसपी में 50 फीसदी युवाओं को जगह देने की तैयारी तेज कर दी है. इसके अलावा पार्टी मुस्लिम वोटर्स पर फोकस कर रही है. बीते कुछ चुनावों में ये वोट पूरी तरह से सपा के ओर शिफ्ट हो गया है, जबकि युवाओं के वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी के ओर जाता रहा है. ऐसे में अगर बीएसपी का ये प्लान काम किया तो बीजेपी और सपा के लिए अपने ही कोर वोटर्स चुनौती बन जाएंगे.