करारी हार के बाद सपा की बड़ी बैठक, मुलायम भी हुए शामिल... उठी आवाज 'चापलूसों को हटा दें'
अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव की तरह ही अब संगठन को मजबूत कर सकते हैं। संगठन का ढांचा ठीक उसी तरह होगा जैसा कभी मुलायम सिंह के समय में हुआ करता था।
लखनऊ, एबीपी गंगा। बीएसपी के साथ गठबंधन करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी में समीक्षाओं का दौर जारी है। सोमवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ पार्टी मुख्यालय पर पार्टी नेताओं की बैठक ली। इस दौरान सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि हार के बाद अखिलेश यादव पार्टी संगठन में बड़ा फेरबदल कर सकते हैं।
सपा को मिली हैं 5 सीटें
बता दें कि बीएसपी के साथ गठबंधन के बावजूद यूपी में समाजवादी पार्टी को महज पांच सीटें ही मिली हैं। इतना ही नहीं सपा के दुर्ग कहे जाने वाले कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद में परिवार के सदस्य भी हार गए। कहा जा रहा है कि पार्टी में जमीनी नेताओं की अनदेखी का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है। यह भी कहा जा रहा है कि अखिलेश 2022 के विधानसभा चुनाव और 11 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने में जुट गए हैं।
संगठन में हो सकते हैं बड़े परिवर्तन
सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव मुलायम सिंह यादव की तरह ही अब संगठन को मजबूत कर सकते हैं। संगठन का ढांचा ठीक उसी तरह होगा जैसा कभी मुलायम सिंह के समय में हुआ करता था, जिसमें कुर्मी के बड़े नेता के रूप में बेनी प्रसाद वर्मा थे। मुस्लिम नेता के तौर पर आजम खान, ब्राह्मण चेहरे के रूप में जनेश्वर मिश्र और राजपूत नेता के तौर पर मोहन सिंह हुआ करते थे। मौजूदा समय में पार्टी के पास ऐसे नेता नहीं हैं, जो हैं भी उन्हें पार्टी में आगे नहीं बढ़ाया गया। यही वजह है कि अखिलेश यादव सगठन में बड़े परिवर्तन कर सकते हैं।
उठने लगी है आवाज
हाल ये है कि निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। पार्टी की दुर्दशा के लिए वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती दूरियों को जिम्मेदार ठहराते हुए अध्यक्ष अखिलेश यादव से सीधे संपर्क-संवाद करने का आग्रह सोशल मीडिया पर खुले पत्रों के जरिए किया जा रहा है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहा समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव श्रवण कुमार त्यागी द्वारा लिखा पत्र चर्चा में है।
असंतुष्ट हैं कार्यकर्ता
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को संबोधित पत्र में लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी के मीडिया पैनलिस्ट हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा गया है कि इतनी कार्रवाई करना ही पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी के उच्च पदों पर आसीन नेताओं पर भी कार्रवाई जरूरी है जो सामान्य कार्यकर्ताओं से बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार करते है, जबकि निचले स्तर पर ही कार्यकर्ता असली पीड़ा झेलता है और जलील होता है।
चापलूसों को हटा दें
पत्र में कहा गया है कि पार्टी को यदि इतिहास नहीं बनाना चाहते है तो चापलूस नेताओं को तत्काल हटा दें। लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय सचिव ने लिखा है कि कार्यकर्ताओं के साथ होने वाले अशोभनीय व्यवहार को उन्होंने खुद भी महसूस किया है। ऐसे नेता खुद को बड़ा नेता मनाते हैं। कार्यकर्ता उनसे मिलने की कोशिश करता है तो केवल हाथ हिलाकर निकल जाते हैं और मायूस कार्यकर्ता उनकी गाड़ी के पास सेल्फी लेकर ही संतुष्ट हो जाता है। उन्होंने सलाह दी कि पार्टी को फिर ऊंचाई पर पहुंचाना है तो चापलूसों की दीवार गिरा दें वरना ये पहरेदार आप को आम कार्यकर्ताओं से बहुत दूर कर देंगे। इसका नुकसान पार्टी को होगा।