Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश हर पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव की दृष्टि से काफी अहम राज्य रहा है. इस बार भी बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) समेत अन्य दलों ने राज्य में चुनावी तैयारी तेज कर दी है. लेकिन खास बात ये है कि राज्य के दो बड़े सियासी दलों ने किसी भी अन्य पार्टी के साथ गठबंधन की अटकलों पर विराम लगा दिया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी को इसका फायदा होगा या नुकसान होगा?
दरअसल, पहले बीएसपी चीफ मायावती ने अपने जन्मदिन पर मीडिया से कहा था कि इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. अब इस एलान के कुछ ही दिन बाद अखिलेश यादव ने भी लोकसभा चुनाव में किसी और दल के साथ गठबंधन नहीं करने का एलान कर दिया है. उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि सपा आगामी चुनाव में किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी.
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इस वजह से लगा 'ब्रेक'
दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. लेकिन सपा को बड़ी हार का सामना करना पड़ा और सपा-कांग्रेस गठबंधन विधानसभा चुनाव में सौ सीटों तक भी नहीं पहुंचे पाया. इसके बाद बीते लोकसभा चुनाव में एक और सियासी प्रयोग हुआ. तब सपा ने बीएसपी के साथ हाथ मिलाया. लेकिन ये प्रयोग भी असफल हुआ. इस बार गठबंधन का फायदा बीएसपी को जरूर हुआ लेकिन सपा को नुकसान हुआ. बीएसपी ने चुनाव में 10 सीट जीती, जबकि सपा केवल 5 सीट जीत पाई. इसके जल्द ही दोनों पार्टियों की राह अलग हो गई. इसके बाद माना जाने लगा कि अब राज्य में किसी दो बड़े दल का साथ आना मुश्किल है.
अब सवाल ये उठा कि अगर हर दल यूपी में अलग लड़ेंगे तो क्या इसका फायदा बीजेपी को होगा. राजनीति के जानकारों की मानें तो अगर कांग्रेस, सपा और बीएसपी अलग-अलग लड़ेंगे तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा. हालांकि पहले ही बीजेपी के खिलाफ यूपी में विपक्षी एकता टूट गई है, लेकिन अगर बीजेपी के खिलाफ राज्य में विपक्षी वोट एकजुट नहीं हो पाएंगे तो फिर एक बार लोकसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत तय है. गौरतलब है कि बीते दिनों आए एक सर्वे में भी बीजेपी को 80 में से 70 लोकसभा सीट मिलने का अनुमान जताया गया है.