Munawwar Rana Death: मुन्नवर राणा के निधन पर अखिलेश यादव ने जताया दुख, जावेद अख्तर बोले- 'नहीं हो पाएगी भरपाई'
मशहूर उर्दू शायर मुन्नवर राणा के निधन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और प्रसिद्ध फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने दुख व्यक्त किया है. मुन्नवर राणा का निधन रविवार देर रात को हुआ था.
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Munawwar Rana News: मशहूर उर्दू शायर मुन्नवर राणा का रविवार रात लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह 71 वर्ष के थे. वह कई महीनों से बीमारी से जूझ रहे थे और एसजीपीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. उनके निधन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया आई है.
सपा प्रमुख ने सैफई में कहा, 'उनकी कई रचनाएं बेहद लोकप्रिय थीं. कई कार्यक्रमों में लोग उनसे अपनी रचनाएं सुनाने का अनुरोध करते थे. मैं उनसे कई कार्यक्रमों के दौरान कई बार मिला हूं.' वहीं दूसरी ओर जावेद अख्तर ने कहा, 'उनके लिखने का अपना तरीका था. अच्छी 'शायरी' लिखना चुनौतीपूर्ण है लेकिन प्रामाणिक 'शायरी' लिखना अधिक चुनौतीपूर्ण है. ताकि जब आप इसे सुनें, तो आपको पता चल जाए कि इसे किसने लिखा है. '
नहीं हो पाएगी भरपाई
जावेद अख्तर ने आगे कहा, 'मैं यह कह सकता हूं पूरे विश्वास के साथ कि #मुनव्वर राणा ने अपनी 'शायरी' में छाप छोड़ी है. शायरी और उर्दू का यह एक बड़ा नुकसान है. मुझे इसका बेहद अफसोस है. यह नस्ल एक-एक करके जा रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी, उनकी कमी हमेशा खलेगी. उनकी शायरी प्रेरक है, उनके लिखने का अपना अंदाज़ था. अच्छी शायरी करना मुश्किल है लेकिन उससे भी ज़्यादा मुश्किल है अपनी शायरी करना.'
राणा के बेटे तबरेज़ राणा ने कहा, "बीमारी के कारण वह 14 से 15 दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता और फिर एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार रात करीब 11 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली." शायर के परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटियां और एक बेटा हैं.
26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे राणा को उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी ग़ज़लों के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया. उनकी काव्य शैली अपनी सुगमता के लिए उल्लेखनीय थी, क्योंकि वे फ़ारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को पसंद आते थे.
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