Mulayam Singh Yadav Death: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद अब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं. सपा प्रमुख के सामने अब पार्टी और परिवार को संभालने के साथ ही तमाम चुनौतियां होंगी. हालांकि बीते दिनों में चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) और भाई प्रतीक यादव (Prateek Yadav) के बयान अखिलेश के लिए राहत भरे रहे हैं. लेकिन फिर भी उनकी चुनौती अभी कम नहीं होने वाली है.
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अब पार्टी की पूरी जिम्मेदारी अखिलेश यादव पर होगी. अब अखिलेश यादव को पहले की तरह मार्ग दर्शन के लिए नेताजी का साथ नहीं मिल सकेगा. ऐसे वक्त में परिवार और पार्टी में अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज का जवाब देना भी उनके लिए एक चुनौती होगी. हालांकि अभी तक चाचा राम गोपाल यादव हर वक्त उनके साथ रहे हैं. लेकिन अब नेताजी के निधन के बाद उनकी भूमिका भी काफी अहम होगी.
वोट बैंक के साथ MY समीकरण भी चुनौती
इन दो चुनौतियों के अलावा अखिलेश यादव के लिए अपने वोट बैंक को बनाए रखना भी एक चुनौती होगी. दरअसल, यादव और मुस्लिम वोट बैंक हमेशा से सपा का मजबूत आधार रहा है. लेकिन अब पश्चिमी यूपी से आने वाले इमरान मसूद ने सपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया है. माना जा रहा है कि अब वे पश्चिमी में जयंत चौधरी के खिलाफ बसपा का हथियार होंगे. हालांकि इससे पहले भी आजम खान के जेल में रहते हुए और तमाम मुद्दों पर मुस्लिमों के मुद्दों को नजर अंदाज करने का आरोप उनपर लगता रहा है.
लोकसभा चुनाव में होगी अग्निपरीक्षा
नेताजी के निधन के बाद यूपी में होने वाली निकाय चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की अग्निपरीक्षा होगी. ये पहले चुनाव होगा जब अखिलेश यादव अपने पिता की अनुपस्थिति में लड़ेंगे. वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान पहले के प्रदर्शन को सुधारते हुए, चुनाव में सपा के जनाधार को बनाए रखने की चुनौती होगी. दूसरी ओर पार्टी के मुस्लिम चेहरों को लेकर बीते दिनों से लग रहे आरोपों पर जवाब देने की जिम्मेदारी भी उनके ऊपर है. इमरान मसूद के बसपा में जाने के बाद एक बार फिर से मायावती ने उनपर उपेक्षा का आरोप लगाया है.