(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मुलायम सिंह यादव की सियासी विरासत को लेकर नहीं होगी रार! अखिलेश के लिए अच्छे संकेत, जानिए वजह
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh) के निधन के बाद उनकी सियासी विरासत लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए अच्छे संकेत दिखने लगें हैं. इसकी कुछ खास वजहें भी हैं.
Mulayam Singh Yadav Death: मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh) के निधन के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि उनकी सियासी विरासत को लेकर परिवार में खींचतान हो सकती है. लेकिन अब बीते दिनों के कुछ बयान और तस्वीरें ये बताने के लिए काफी है कि अभी कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि दूसरी ओर अभी-भी अपर्णा यादव (Aparna Yadav) ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वहीं कुछ अच्छे संकेत भी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए दिखने लगे हैं.
दरअसल, नेताजी के निधन के बाद यादव परिवार में सियासी रार के कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन बीते कुछ दिनों की तस्वीरों और बयानों से ऐसा संकेत मिला है, जिसने अखिलेश यादव के लिए अच्छे संकेत दिए हैं. पहले चाचा शिवपाल सिंह यादव के बयान ने सपा प्रमुख को राहत दी. जब मीडिया ने शिवपाल सिंह यादव से पूछा कि क्या वे मैनपुरी से लोकसभा का उपचुनाव लड़ेंगे? तब उन्होंने कहा, "अभी हम उस स्थिति में नहीं हैं. मुझे क्या करना है या क्या नहीं करना है. ये सब बातें तो जब मौका आएगा तो की जाएंगी. इसलिए इस समय कोई फैसले की बात नहीं है. देखिए क्या जिम्मेदारी मिलती है, क्या करना है."
चाचा ने भी दिए संकेत
इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने एक और बयान में कहा, "नेताजी का अक्स अखिलेश यादव में दिखाई पड़ता है." बता यहीं खत्म नहीं हुई, नेताजी के निधन के बाद चाचा शिवपाल हर वक्त अखिलेश यादव के साथ खड़े दिखाई दिए. कुछ मौकों पर तो दोनों का गुफ्तगू करने हुए एक वीडियो भी वायरल हुआ था. ऐसे में ये भतीजे अखिलेश यादव के लिए चाचा का नरम रुख माना जा रहा है. कुछ लोग अब ऐसा भी मानते हैं कि शिवपाल यादव फिर अखिलेश यादव के साथ आ सकते हैं. हालांकि अभी तक इसपर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है.
भाई का मिला साथ
दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे और बीजेपी नेता अपर्णा यादव के पति प्रतीक यादव के बयानों की भी काफी चर्चा है. जब बुधवार को नेताजी के अस्थि विसर्जन में शामिल होने वे प्रयागराज पहुंचे तो मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा, "नेताजी के निधन से उनका व्यक्तिगत और पूरे समाज का बड़ा नुकसान हुआ हैं. नेताजी की सियासी विरासत को अखिलेश भैया ही संभालेंगे. वह पहले से ही दूसरे कामों में थे और खुद को उन्हीं कामों में व्यस्त रखेंगे. सियासत से उनका आगे भी कोई लेना देना नहीं रहेगा."
हालांकि अभी तक सियासत को लेकर बीजेपी नेता अपर्णा यादव का कोई बयान नहीं आया है. ये जरूर अखिलेश यादव के लिए चिंता की बात हो सकती है. हालांकि दूसरी ओर देखा जाए तो अब अपर्णा के पति के बयान के बाद इसे अखिलेश यादव के लिए राहत ही माना जा रहा है.