केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे. यह नियुक्ति पहले यूपीएससी के तहत होती थी लेकिन इस बार इन पदों को अनुबंध के आधार पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से भरा जाना है. इसपर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया आई है. 


अखिलेश यादव ने कहा, 'भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाज़े से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साज़िश कर रही है, उसके ख़िलाफ़ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है. ये तरीक़ा आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा. आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे.'


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आरक्षण छीनने की चाल- सपा
सपा प्रमुख ने कहा, 'दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है. अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के ख़िलाफ़ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है. भाजपा सरकार इसे तत्काल वापस ले क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है. भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है.'


उन्होंने कहा, 'सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते. ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा. देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों. सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है.'


अखिलेश यादव ने कहा कि ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है. ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है.