उत्तर प्रदेश में अब एक बार फिर राजनीति में कुछ बदलाव आ सकता है. बीते चुनावों में हार के बाद अब समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) नई रणनीति के साथ आगे की तैयारी में लग गए हैं. लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर सपा प्रमुख अब पुराने अंदाज में बदले हुए तेवर के साथ नजर आ रहे हैं. इस दौरान उनके सवालों को पूछने का तरीका भी वही पूरा नजर आ रहा है. दरअसल, ये चर्चा अखिलेश यादव के वाराणसी (Varanasi) दौरे के बाद शुरू हुई है.
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में लगे अखिलेश यादव अब कुछ बदले-बदले से दिख रहे हैं. ये अखिलेश यादव की हालिया तस्वीरें बता रही हैं. सपा प्रमुख गुरुवार को वाराणसी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए, जिसके बाद यहां से वे जौनपुर के लिए निकल गए. इस दौरान सपा प्रमुख माथे पर चंदन लगाए दिखे. वहीं उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. जिसमें धर्म के मुद्दे पर ही बीजेपी पर चुभता हुआ तंज कसा.
बीजेपी पर यूं साधा निशाना
सबसे पहले सपा प्रमुख ने कहा, "मुझे बीजेपी वालों से धर्म नहीं सीखना है. बीजेपी की कोशिश विरोधियों में फूट डालो और राज करो की रही है. अभी तक जितने भी फैसले बीजेपी ने लिए हैं, वो जनता के खिलाफ हैं. दूध, दही और मक्खन सब पर जीएसटी लगा दिया. आजादी के बाद ये पहली सरकार है, जिसने इस तरह से जीएसटी लगाई है. सावन के महीने में भोलेनाथ पर चढ़ाने जाएं तो दूध वही जिसपर सरकार ने जीएसटी वसूला हो. इन्होंने पूजा करने वालों को भी नहीं छोड़ा है."
जौनपुर हो या वाराणसी अखिलेश यादव ने धर्म के मुद्दे पर बीजेपी सरकार को खूब घेरा है. वहीं ओवैसी को कांवड़ यात्रा में हुई पुष्पवर्षा जरूर चुभी थी, लेकिन इस मामले पर भी अखिलेश यादव ने बयान देकर जनता की भावनाओं से जुड़े का प्रयास किया. उन्होंने कहा, "कांवड़ियों का सम्मान होना चाहिए, वो धर्म का है और धर्म में बहस नहीं होनी चाहिए. धर्म में तर्क नहीं होना चाहिए. धर्म में तर्क नहीं दिया जा सकता है."
चर्चा में रहा ये बयान
ऐसे में अब माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 'धर्मयुद्ध' का नया मैदान तैयार हो गया है. अखिलेश यादव का एक बयान भी आया है जो काफी चर्चा में बना हुआ है. उन्होंने कहा, "भापजाइयों का धर्म केवल इस्तेमाल करने के लिए है. बीजेपी धर्म वाली है तो बताओ दूध पर टैक्स क्यों लगाया. उन्होंने दही पर टैक्स क्यों लगाया, जो बाबा भोलेनाथ पर चढ़ता है. क्या वो टैक्स वाला दूध नहीं होगा."
अखिलेश यादव के इस बदले अंदाज से लग रहा है कि वो यूपी की राजनीति में अपनी छवि सॉफ्ट हिंदुत्व के सहारे गढ़ना चाहते हैं. वैसे भी राज्य में 2024 से ठीक पहले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण की योजना बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है. इसके साथ ही ज्ञानवापी विवाद और मथुरा का मुद्दा भी गर्माया हुआ है.
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