UP Politics: सपा के दलित कार्ड से बसपा में मची खलबली, BSP के सामने अपने काडर वोट बैंक को सहेजने की चुनौती बढ़ी, मंथन शुरू
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दलित कार्ड से बसपा (BSP) में खलबली मची हुई है. वहीं बसपा के सामने अपने काडर वोट बैंक को सहेजने की चुनौती बढ़ गई है. इसके लिए मंथन भी शुरू हो गया है.
UP News: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दलित कार्ड से बसपा (BSP) में खलबली मची हुई है. दरअसल, सपा ने दलित वोट बैंक के सहारे 2024 की नया पार करने की तैयारी की है. वहीं बसपा के सामने अपने काडर वोट बैंक को सहेजने की चुनौती बढ़ गई है. अब सपा की इस चाल की काट कैसे की जाए, इसके लिए बसपा में मंथन शुरू हो गया है. शायद यही वजह है कि हाल ही में बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने ट्वीट कर सपा पर निशाना साधा है.
मायावती ने ट्वीट में लिखा कि सपा अंबेडकर और बहुजन समाज के लोगों की विरोधी रही है. माना जा रहा है कि बसपा भी जानती है कि उसका काडर वोट जरा भी खिसका तो सत्ता में आने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो बसपा पहले ही हाशिए पर चल रही है. वहीं सपा दलित वोट बैंक के सहारे 2024 की नया पार करने की तैयारी में लग गई है. जबकि बसपा भी जानती है कि उसका काडर वोट जरा भी खिसका तो सत्ता में आने के सारे रास्ते बंद हो जाएंगे.
पांच फीसदी दलितों को किया टारगेट
दूसरी ओर सपा विभिन्न कमेटियों में उनकी भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में भी लग गई है. जिससे अंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश हो सके. सपा के प्रांतीय और राष्ट्रीय सम्मेलन में बार-बार दलितों के उत्पीड़न और अंबेडकर के सपनों को साकार करने की दुहाई दी गई. सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि पार्टी पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने में सफल रही तो प्रदेश की सियासी तस्वीर बदल जाएगी.
सपा ने दलित वोट बैंक को साधने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले 15 अप्रैल 2021 को बाबा साहब वाहिनी बनाने का ऐलान किया था. इसका असर यह रहा की पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम, इंद्रजीत सरोज समेत बसपा के कई दलित नेताओं ने सपा का रुख किया. वाहिनी के नाम पर पार्टी में राष्ट्रीय से लेकर विधानसभा और क्षेत्रवार कमेटी बन गई है.
अखिलेश यादव का एलान
इसी तरह पिछले साल 26 जनवरी को काशीराम स्मारक में पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले की अगुवाई में संविधान बचाओ आंदोलन का आयोजन किया गया था. इसमें मुख्य अतिथि अखिलेश यादव ने ऐलान किया था कि समाजवादी और अंबेडकरवादी मिलकर बीजेपी का सफाया करेंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि लोहिया भी चाहते थे कि अंबेडकर के विचारों को मानने वाले साथ आएं.
उसी दिन बाबा साहब के पौत्र पूर्व सांसद प्रकाश आंबेडकर की मौजूदगी में विभिन्न दलों के दलित नेताओं ने सपा की सदस्यता ली थी. अभी सपा का वोट बैंक करीब 33 फीसदी तक पहुंच गया है. वहीं दलितों के उत्पीड़न की घटना होने पर तत्काल सपा का प्रतिनिधिमंडल मौके पर भेजा जा रहा है. प्रदेश में करीब 11 फीसदी जाटव, तीन फीसदी पासी और दो फीसदी अन्य दलित जातियां हैं. पार्टी इनमें से पांच फीसदी दलितों को अपने पाले में लाने के लिए प्रयासरत है.
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