लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एमएलसी की 12 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होना है और आज समाजवादी पार्टी ने दो उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. इस घोषणा के साथ ही एमएलसी चुनाव बेहद रोचक हो गया है क्योंकि संख्या बल के लिहाज से समाजवादी पार्टी अपने एक उम्मीदवार को ही आसानी से जिता सकती है. ऐसे में सबकी निगाहें बीजेपी की रणनीति पर टिक गई है. क्या इन चुनाव में बीजेपी अब 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी या फिर 11वां उम्मीदवार उतारकर इस लड़ाई को और दिलचस्प बना देगी.


यूपी विधान परिषद की 12 सीटें 30 जनवरी को खाली हो रही हैं. 28 जनवरी को इन सभी सीटों पर चुनाव होना है. संख्या बल के लिहाज से इन चुनाव में बीजेपी 10 सीटों पर आसानी से जीत हासिल कर सकती है. वहीं समाजवादी पार्टी एक सीट पर आसानी से जीत हासिल कर सकती है. लेकिन आज समाजवादी पार्टी ने इन चुनाव के लिए दो उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी. इनमें पहले उम्मीदवार अहमद हसन हैं जो वर्तमान में एमएलसी हैं और विधान परिषद में नेता विरोधी दल हैं. जबकि दूसरा नाम राजेंद्र चौधरी का है जो अखिलेश यादव के बेहद करीबी हैं और उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी के पास वह संख्या बल नहीं है कि वह आसानी से अपने दूसरे उम्मीदवार को चुनाव जिता सके.


शिवपाल यादव अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं


इस चुनाव में एक सदस्य को जिताने के लिए 31 विधायकों के वोट की जरूरत पड़ेगी और समाजवादी पार्टी के पास विधानसभा में कुल 49 विधायक हैं. इनमें नितिन अग्रवाल बागी हैं और बीजेपी के साथ हैं. जबकि शिवपाल यादव अपनी अलग पार्टी बना चुके हैं. ऐसे में अगर इन 2 विधायकों को कम कर दें तो यह संख्या 47 हो जाती है. 31 वोट के बाद 16 विधायक ही बचते हैं. हालांकि समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में जो रणनीति अपनाई थी, बसपा के विधायकों को अपने साथ लाए थे. वो पांच विधायक भी अगर उनके साथ चले जाते हैं तो यह संख्या बढ़कर 21 हो जाएगी. वहीं अगर ओमप्रकाश राजभर के चार विधायक उनका साथ देते हैं तो यह संख्या 25 हो जाएगी. लेकिन जीत के जादुई आंकड़े से यह फिर भी कुछ कम ही रह जाएंगे.


आज इन चुनाव में रणनीति के लिए अखिलेश यादव ने पार्टी के सभी विधायकों को पार्टी कार्यालय पर तलब किया था और सभी को निर्देश भी जारी किए. पार्टी के विधायक कह रहे हैं कि उनके पास जीत के लिए संख्या बल पर्याप्त है और वह दोनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे.


अभी समाजवादी पार्टी के 55 सदस्य


विधान परिषद में अभी समाजवादी पार्टी के 55 सदस्य हैं और इस महीने जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें से छह समाजवादी पार्टी के ही हैं. ऐसे में अगर इसे कम कर दें तो सपा के विधान परिषद सदस्यों की संख्या 49 हो जाएगी और अगर उसका एक उम्मीदवार ही जीतता है तो कुल 50 हो जाएंगे. विधान परिषद में भी बीजेपी के सदस्यों की संख्या 25 है और अगर उसके 10 उम्मीदवार जीतते हैं तो संख्या बढ़कर 35 हो जाएगी और अगर 11 वीं सीट बसपा के सहयोग से जिता ले जाती हैं तो यह संख्या 36 हो जाएगी.


समाजवादी पार्टी के 2 उम्मीदवार घोषित करने पर जब आज उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा जिनकी खुद सदस्यता 30 जनवरी को खत्म हो रही है, इसे लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी का जीत का अभियान लगातार जारी है. जो सीटें हम लड़ाएंगे वो सीटें जीतेंगे भी लेकिन कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार बीजेपी उतारेगी यह उन्होंने नहीं बताया.


विधान परिषद में सियासी दलों की ताकत बढ़ेगी


जबकि राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय भी मानते हैं कि एमएलसी चुनाव अब काफी दिलचस्प हो गया है क्योंकि समाजवादी पार्टी ने दूसरा उम्मीदवार उतार दिया है. उनके मुताबिक अब इस चुनाव में खरीद-फरोख्त भी होने की संभावना बढ़ गई है. उन्हें यह भी लगता है कि बीजेपी अब 10 की बजाय 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और जो बात मायावती ने कुछ समय पहले कही थी कि वह बीजेपी का साथ देंगी वह इन विधान परिषद चुनाव में देखने को मिल सकता है. यह 2022 के नए राजनीतिक समीकरणों की भी तस्वीर पेश करेंगे.


2022 के विधानसभा चुनाव से पहले विधान परिषद की 12 सीटें काफी अहम हो जाती है. यह जहां प्रदेश के नए सियासी समीकरण की तस्वीर सामने रखेगी, तो वहीं इस बात का भी इशारा साफ मिल जाएगा कि आखिर किस दल में कौन सेंधमारी करने में जुटा है. साथ ही विधान परिषद में सियासी दलों की ताकत भी बढ़ेगी.


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