UP News: केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लेकर समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ एसटी हसन की प्रतिक्रिया सामने आई है. सपा नेता एसटी हसन ने इस स्कीम को मरी हुई चुहिया को गोबर सुंघाने वाली कहावत बताते हुए कहा की इस से कर्मचारियों का कोई भला नहीं होने वाला है. सरकार को पुरानी पेंशन स्कीम ही लागू करनी चाहिये. जो कर्मचारी जीवन भर आपकी सेवा करता है, उसे आप बुढ़ापे में दुनिया के थपेड़े खाने के लिए अकेला कैसे छोड़ सकते हैं.


सपा नेता ने कहा कि ये कहां की इंसानियत है कि इतनी महंगाई और भागदौड़ की दुनिया में आप उसे बुढ़ापे में अकेला छोड़ दें. कितने लोग सदमे में खत्म हो चुके हैं, फिर भी आपने UPS ही निकाली हां ये बात ठीक है की सरकार एक कदम आगे बढ़ी है लेकिन यह हमारे कर्मचारियों को संतुष्ट नहीं कर सकती है. सरकार को पुरानी पेंशन योजना ही लागू करनी चाहिए इस से कोई संतुष्ट नहीं है लेकिन मजबूरन इसे अपनाएंगे ताकि कुछ आंसू तो पुछ जाएं.


पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कहा कि समाजवादी पार्टी अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी और अधिकतर सीटों को जीतेगी. लेकिन प्रशासनिक और सरकारी तैयारियां बहुत खतरनाक हो रही हैं. खास तौर से मुसलमान बीएलओ को हटाया जा रहा है और ग्राम प्रधानों को धमकाया जा रहा है लेकिन यह सब चीजें काम आने वाली नहीं हैं. जनता को धमका कर वोटिंग प्रतिशत ही कम करा दें तो अलग बात है, जनता इन्हें वोट के जरिये जवाब देने जा रही है.


सरकार की आंखों में आरक्षण चुभता है- एसटी हसन


सपा नेता ने कहा कि अगर चुनाव आयोग ईमानदारी से चुनाव करा दे तो समाजवादी पार्टी इस बार अधिकतर सीटें जीतने जा रही है. इस बार भी चुनाव में आरक्षण बड़ा मुद्दा रहेगा क्यूंकि सरकार की आँखों में आरक्षण चुभता है और ये नहीं चाहते की दबे कुचले गरीब दलित और मुसलमान तरक्की करें. ये चाहते हैं की वह अपनी जगह पर ही रहें. 


बुलडोजर कार्रवाई खतरनाक ट्रेंड- एसटी हसन


पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश तक अपराधियों पर हो रही बुलडोजर कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा की यह बहुत खतरनाक बात है दुनिया में कहीं ऐसा नहीं होता जैसा हमारे देश में हो रहा है. हमारे देश में अदालती व्यवस्था है लेकिन बुलडोजर चला कर सरकारें अदालतों के अधिकारों में अतिक्रमण कर रही हैं. अदालतों को यह अधिकार है की किस को फांसी की सजा दें या किस के मकान को ध्वस्त कराएं. यह अदालतें तय करें लेकिन अदालतों को भी सकरार के सामने बोना कर दिया, ये बहुत खतरनाक ट्रेंड है. अगर देश की अदालतें और देश का संविधान अपना इकबाल नहीं बचा पाए, डिक्टेटर शिप जैसे चल रही है और ये और आगे बढ़ जाएगी.


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